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रावण वध ।
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रामका शोक । लक्ष्मणको मूर्छित पड़ा देख, राम भी घबराकर पृथ्वीपर गिर पड़े और बेहोश हो गये । सुग्रीव आदिने आकर रामपर चंदन-जलका सिंचन किया। थोड़ी देरमें रामको होश आया। राम उठकर लक्ष्मणके पास बैठे और इस प्रकारसे विलाप करने लगे:-" हे वत्स ! बता तुझको क्या पीड़ा हो रही है ? तूने मौन कैसे धारण किया है ? यदि बोल नहीं सकता है तो संज्ञासे-इशारेसे-ही कुछ कह और अपने ज्येष्ठ बन्धुको प्रसन्न कर । हे प्रिय दर्शन वीर ! ये सुग्रीव आदि तेरे अनुचर तेरा मुख ताक रहे हैं। इनको वाणीसे या दृष्टिसे किसी भी तरहसे अनुग्रहीत क्यों नहीं करता है ? यदि तू इस लज्जासे नहीं बोलता से कि, रावण तेरे सामनेसे जीवित चला गया है, तो कह । मैं तेरे इस मनोरथको तत्काल ही पूर्ण कर दूंगा। रे दुष्ट रावण ! खड़ा रह, खड़ा रह भागकर कहाँ जाता है ? मैं थोड़े ही समयमें तुझको महामार्गका मुसाफिर बनाता हूँ।"
इतना कह, धनुष चढा, राम खड़े हो गये । उस समय सुग्रीवने सामने आकर विनय पूर्वक कहा:-" हे स्वामिन् ! इस समय रात्रि है ! रावण लंकामें चला गया है। हमारे स्वामी लक्ष्मण शक्तिके प्रहारसे अचेत हो रहे