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________________ रावण वध। Kinrn.nan ... ...... ............. ..... . narran.. ........ सो कुछ भी मालूम नहीं होता था। उन्होंने लोहमय शस्त्रोंसे और देवताधिष्ठित अस्त्रोंसे बहुत देरतक युद्ध किया; परन्तु कोई किसीको न जीत सका। ___ अन्तमें बहुत खीजकर इन्द्रजीत और मेघवाहनने सुग्रीव और भामंडलपर नागपाश अस्त्र चलाया। उनसे वे बँध गये, और ऐसे मजबूत बँधे कि उनके श्वासोश्वास भी कठिनतासे आते जाते थे। उसी समय कुंभकर्णको भी चेत हो आया। उसने हनुमानके ऊपर गदाका प्रहार किया । हनुमान मूच्छित होकर भूमिपर गिर गया। कुंभकर्ण, तक्षक नागके समान अपनी भुजासे हनुमानको उठा, बगलमें दबा, लंकाकी ओर चला । यह देखकर, विभीषणने रामचंद्रसे कहा-" हे स्वामिन् ! सुग्रीव और भामडल आपकी सेनामें साररूप हैं, जैसे कि शरीरमें दो. आँखें होती हैं। उन्हींको इन्द्रजीतने और मेघवाहनने नागपाश द्वारा बाँध लिया है । अत: वे इनको लेकर लंकामें जायँ इसके पहिले ही मुझे आज्ञा दीजिए कि मैं उनको. छुड़ा लाऊँ । हे प्रभो ! सुग्रीव, भामंडल और हनुमानके. विना अपना सारा सैन्य वीरता हीन है।" विभीषण रामचंद्रको इस प्रकार कह रहा था उसी समय अंगद कुंभकर्ण पर झपटा और उसके साथ युद्ध करने लगा। क्रोधांध होकर कुंभकर्णने अपनी भुजा ऊँची की, इससे मारुती तत्काल ही उसके भुजपाशमेंसे
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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