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___ हस्त प्रहस्तकी मृत्युसे रावणके सुभट क्रुद्ध हुए। उनमेंसे मारीच, सिंहजघन, स्वयंभू, सारण, शुक्र, चंद्र, अर्क, उद्दाम, बीभत्स, कामाक्ष, मकर, ज्वर, गंभीर, सिंहरथ और अश्वरथ आदि सुभट युद्ध करनेको सामने आये। मंदनाकुमार, संताप, प्रथित, आक्रोश, नंदन, दुरित, अनघ, पुष्पास्त्र विघ्न और प्रीतिकर आदि वानरवीर भिन्न २ एक एकके साथ युद्ध करने लगे । और ऊँचे उछल उछल कर, नीचे गिरने लगे; जैसे कि मुर्गे लड़ते लड़ते ऊँचे उड़ते हैं और नीचे गिरते हैं। इस तरह युद्ध चलते हुए, बहुत देर हुई । मारीच राक्षसने संताप वानरको, नंदन वानरने ज्वर राक्षसको, उद्दाम राक्षसने विघ्न वानरको, दुरित वानरने शुक राक्षसको और सिंहजघन राक्षसने प्रथित वानरको, कठोर प्रहार करके, घायल कर दिया। उसी समय सूर्य अस्त होगया, इससे राम और रावणकी सेना युद्धसे विमुख हुई सैनिक अपने अपने पक्षके मृत और घायल सुभटोंको शोधने लगे।
हनुमानकी युद्धक्रीडा। रात बीतगई । सूरज उगगया । तब राक्षस योद्ध रामके योद्धाओंके सामने, युद्धार्थ आये; जैसे कि दानव देवोंके सामने युद्धार्थ जाते हैं। राक्षसोंकी सेनाके मध्यभागमें हाथीके रथमें बैठकर, रावण अपनी सेनाका संचालन कर रहा था। वह मेरुगिरिके समान प्रतीत होता था।