SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 350
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हनुमानका सीताकी खबर लाना। ३११ अपने भाईके व र मारुती खादोनों महाबा हनुमान और इन्द्रजीतका युद्ध। अपने भाईके वध होनेके समाचार सुन, इन्द्रजीत क्रुद्ध हो, रणमें आया; और " रे मारुती खड़ा रह खड़ा रह !" कहता हुआ, हनुमानपर प्रहार करने लगा। दोनों महाबाहु वीरोंका, कल्पान्तकालकी भाँति दारुण और जगतको क्षुब्ध कर देनेवाला भयंकर, युद्ध बहुत देरतक होता रहा। शत्रश्रेणीको बरसाते हुए, दोनों ऐसे प्रतीत होते थे, मानो आकाशसे पुष्करावर्त मेघ जल बरसा रहा है । लगातार दोनोंके अस्त्र परस्पर टकरा रहे थे, उससे थोड़ी ही देरमें आकाशमंडल, ढक गया, कष्टसे दिखने योग्य हो गया; जैसे कि जलजंतुओंसे समुद्र हो जाता है। रावणके दुवार पुत्रने जितने शस्त्र चलाये, उन सबको मारुत-सुतने, अनेक गुणे अस्त्र चलाकर छेद डाला । राक्षस सुभट हनुमानके शस्त्रोंसे क्षत हुए; उनके शरीरसे लोहू बहने लगा। वे सब ऐसे दिखने लगे मानो जंगम पर्वतोंसे रक्त बह रहा है। इन्द्रजीतने, अपने सैनिकोंको नष्ट और अपने अन्य अस्त्रोंको विफल होते देख, हनुमान पर नागपाश अस्त्र चलाया। उस दृढ़ नागपाससे हनुमान सिरसे पैर तक बँध गया; जैसे कि चंदनका वृक्ष साँसे बँध जाता है। यद्यपि नागपाशको तोड़ डालनेका और शत्रुओंको जीत लेनेका हनुमानमें सामर्थ्य था तथापि, · बँधनमें रहकर
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy