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जैन रामायण पाँचवाँ सर्ग ।
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छठा सर्ग। हनुमानका सीताकी खबर लाना।
जटायुकी मृत्यु। लक्ष्मणके समान सिंहनाद सुनकर, राम धनुष लेकर शीघ्रतासे जहाँ लक्ष्मण शत्रुओंके साथ रणक्रीडा कर रहे थे वहाँ पहुँचे। __रामको आये हुए देखकर लक्ष्मणने पूछा:-" हे आर्य! सीताको अकेली छोड़कर आप यहाँ क्यों आये हैं ?"
रामने उत्तर दिया:-“हे लक्ष्मण तुमने मुझको कष्ट सूचक सिंहनाद करके बुलाया इसी लिए मैं आया हूँ।"
लक्ष्मण बोले:--" मैंने तो सिंहनाद नहीं किया था; मगर आपने सुना इससे जान पड़ता है कि, किसीने हमको धोखा दिया है । जान पड़ता है कि, आर्या सीताका हरण करनेके लिए किसीने यह कुमंत्रणा कर आपको वहाँसे हटाया है । सिंहनाद करनेमें दूसरा कोई हेतु मुझे मालूम नहीं होता। अतः हे आर्य! आप शीघ्र ही सीताकी रक्षाके लिए जाइए । मैं भी शत्रुओंका संहार कर, आपके पीछे पीछे आता हूँ।"
लक्ष्मणका कथन सुन रामभद्र तत्काल ही अपने पूर्व स्थानपर लौट आये; परन्तु वहाँ वे सीताको न देख, मूर्छित होकर भूमिपर गिर पड़े।