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________________ सीताहरण । २६३ mmmmmmmmmmmmm निर्दय, निर्लज्ज ! थोड़े ही समयमें परस्त्री कामनाकी फलरूप मृत्यु तुझको मिलेगी।" उसी समय 'सारण' आदि मंत्री और दूसरे सामंत राक्षस रावणके सामने आये । बहुत बड़ा उत्साही और महान साहसके कार्य करनेवाला अति बलवान रावण, उत्सव पूर्ण लंकापुरीमें गया । ___ उस समय सीताने नियम लिया कि-जब तक राम और लक्ष्मणके उनको समाचार नहीं मिलेंगे तब तक वे भोजन नहीं करेंगी। तत्पश्चात तेजनिधि रावणने सीताको, लंकापुरीके पूर्व दिशामें आये हुए, देवताओंके क्रीडास्थल नंदनवनके समान, और खेचरोंकी स्त्रियोंके विलासके धामरूप, 'देवरमण' नामा उद्यानमें रक्तवर्णके अशोक वृक्षके नीचे छोड़ा; और त्रिजटा आदि रक्षिकाएँ उनके पासमें छोड़ आप हर्षित होता हुआ अपने महलोंमें गया।
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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