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सीताहरण ।
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नगरके समीप पहुँचे । वहाँ बाहिर उद्यानमें ठहरे । लक्ष्मण. वनफल लाये, सीताने उनको सुधारा । पीछेसे रामने उनको खाया |
पश्चात रामकी आज्ञा लेकर लक्ष्मण नगरमें गये । वहाँ उन्होंने, उच्च स्वरसे होता हुआ एक ढिंढोरा सुना कि -- जो पुरुष इस नगर के राजाकी शक्तिके प्रहार सहन करेगा उसको राजा अपनी कन्या ब्याह देगा । "
सुनकर लक्ष्मणने एक मनुष्यसे ऐसा ढिंढोरा करानेका हेतु पूछा । उसने उत्तर दिया:- यहाँ राजा " शत्रुदमन' के - रानी ' कन्यका देवी' के उदरसे जन्मी हुईजितपद्मा' नामकी एक कन्या है । वह कमललोचना बाला लक्ष्मीका स्थान है । उसके वरकी शक्तिकी परीक्षा करनेके लिए राजाने ऐसा करना प्रारंभ किया है । परन्तु अबतक कोई ऐसा वर नहीं मिला । इस लिए यहाँ प्रतिदिन ऐसा ढिंढोरा पिटा करता है । "
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इतना सुन लक्ष्मण तत्काल ही राजाकी सभायें गये । राजाने उनसे पूछा:- “ तुम कहाँ रहते हो ? और कहाँ से आये हों ? "
लक्ष्मणने उत्तर दिया:- " मैं भरत राजाका दूत हूँ । किसी कार्य के लिए इधरसे जा रहा था। मार्ग में तुम्हारी कन्याकी बात सुनी; इस लिए उसके साथ ब्याह कर -- नेके लिए मैं यहाँ आया हूँ। "