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बडी मंत्रीने कहा
था-" इस समय जगे तब
सीताहरण । mmmmmmmmmwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww.
रामने कहा:--" हम म्लेच्छोंके पाससे तेरे पिताको छुड़ाकर लावें तब तक त, पहिलेकी तरह ही पुरुषवेष धारणकर राज्य चलाना।"
" बड़ी कृपा होगी।" इतना कह कल्याणमालाने, एक ओर जा पुनः पुरुष वेष धारण कर लिया। फिर सुबुद्धी मंत्रीने कहा:-" इस कल्याणमालाके पति लक्ष्मण होओ।" रामने उत्तर दिया:-" इस समय हम पिताकी आज्ञासे देशान्तरको जा रहे हैं, इससे हम वापिस लौटेंगे तब लक्ष्मण इसके साथ ब्याह करेंगे।
वालिखिल्यका छुटकारा। ऐसा स्वीकार कर तीन दिनतक राम वहीं रहे । चौथे दिन पिछली रातको जब कि सब सो रहे थे राम सीता और लक्ष्मण सहित वहाँसे चल दिये।
प्रात:काल ही कल्याणमाला, जब राम, लक्ष्मण और सीता वहाँ नहीं दिखे तब, मनमें अति दुःखी हुई; खिन्न मना होकर अपने नगरमें गई और पूर्वकी भाँति ही राज्य करने लगी। __ चलते हुए राम नर्मदा नदीके पास पहुँचे, और उसको पारकर विंध्याटवीमें घुसे । मुसाफिरोंने उनको उधर जानेसे रोका; परन्तु उन्होंने किसीकी बात न मानी। उस समय दक्षिण दिशामें एक कंटकी-शिंबलके वृक्षपर बैठे हुए कौएने कठोर शब्द किये; फिर एक दूसरे पक्षीने