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राम लक्ष्मणकी उत्पत्ति, विवाह और वनवास । १९३
'हे स्वामी ! आपको याद है न ? मेरे स्वयंवरके समय मैंने आपका सारथिपन किया था। उस समय आपने मुझको एक वरदान माँगनेको कहा था। हे नाथ! वह वरदान आप इस समय दीजिए। क्योंकि आप सत्य प्रतिज्ञावाले हैं।
प्रस्तरात्कीर्ण रेखेव, प्रतिज्ञा हि महात्मनाम् ।' (महात्माओंकी प्रतिज्ञा पाषाणमें की हुई रेखाके समान होती है) .
दशरथ राजाने उत्तर दिया:-" मैंने जो वचन दिया था, वह मुझको याद है; अतःएक व्रतलेनेके निषेधके सिवा, जो मेरे आधीन हो वह तू माँग ले"
उस समय कैकेयीने माँगा:-" हे स्वामी! यदि आप स्वयं दीक्षा लेते हैं, तो यह सारी पृथ्वी मेरे पुत्र भरतको दीजिए।" ___ तत्काल ही दशरथने उत्तर दिया:-" यह पृथ्वी अभी ही लेले ।" फिर उन्होंने लक्ष्मण सहित रामको बुलाया
और कहा:-" हे वत्स ! एकवार कैकेयीने मेरा सारथिपन किया था। उस समय मैंने इसको वरदान देनेका वचन दिया था। उस वरदान-वचनके एवजमें यह इस समय भरतको राज्य दिलाना चाहती है।"
राम हर्षित होकर बो:-" मेरी माताने मेरे महान पराक्रमी बंधु भरतको राज्य मिलनका वरदान माँगा, यह