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राम लक्ष्मणकी उत्पत्ति, विवाह और वनवास । १९१
करेगा । पीछे उपमन्यु पुरोहितके कहनेसे, तूने उस प्रतिज्ञाको तोड़ दिया । उस उपमन्यु पुरोहितको स्कंद नामक एक व्यक्तिने मार डाला । मरकर वह हाथी हुआ। उस हाथीको भूरिवंद राजाने पकड़ लिया । युद्धमें वह हाथी
मर गया । मरकर वह भूरिनंदन राजाकी पत्नी गांधारीके 'उदरसे अरिसूदन नामा पुत्र उत्पन्न हुआ।
वहाँ उसको जाति स्मरण ज्ञान हो गया । इसलिए उसने दीक्षा लेली । वहाँसे मरकर वह सहस्रार देवलोकमें देवता हुआ। वह मैं ही हूँ।
राजा भूरिनंदन मरकर एक वनमें अजगर हुआ; वहाँ वह दावानलसे जलकर दूसरे नरकमें गया । पूर्व स्नेहके कारण मैंने नरकमें जाकर उसको उपदेश दिया । वहाँसे निकल कर तू प्रतिमाली राजा हुआ है। पूर्व भवमें मांस त्यागकी प्रतिज्ञाका भंग किया था, वैसा अनंत दुःखदायक परिणामवाला, नगरदाहका कार्य अब मत कर।"
इस प्रकार अपना पूर्व भव सुन, रत्नमालीने, युद्धसे मुख मोड़, सूर्यजयके (तेरे) पुत्र कुलनंदनको राज्य दे, अपने पुत्र सूर्यजयसहित, तिलकसुंदर आचार्यके पाससे दीक्षा लेली । दोनों मुनिपन पालते हुए मरकर महाशुक्र देवलोकमें उत्तम देवता हुए। १-आठवाँ देवलोक । २ सातवाँ देवलोक ।