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राम लक्ष्मणकी उत्पत्ति, विवाह और वनवास । १८९
होगया था वह, यह मामंडल तुह्मारा पुत्र है। आदि वृत्तात, उनको कह सुनाया। चंद्रगति की बातें सुनकर, जनक
और विदेहा बहुत हर्षित हुए; जैसे कि मेघकी गर्जना सुनकर मोर प्रसन्न होते हैं। विदेहाके स्तनों से दुग्ध झरने लगा। __ अपने वास्तविक माता पिताको, पहिचानकर, भामंडलने नमस्कार किया। उसको, उन्होंने मस्तकसे चुंबनकर, इर्षाश्रुसे स्नानकर वाया।
चंद्रगतिने, संसारसे उदास हो, भामंडलको राज्यपर बिठा, सत्यभूति मुनिके पाससे दीक्षा ले ली । फिर भामडल सत्यभूति और चंद्रगति मुनिको, जनक और विदेहाको ( मातापिताको ) दशरथ राजाको, सीताको और रामको नमस्कार करके अपने नगरको गया।
दशरथ राजाके पूर्वभव । राजा दशरथने सत्यभूति मुनिसे अपने पूर्वभव पूछे । मुनिने कहा:-"सेनापुरमें भावन नामा किसी महात्मा वणिकके, दीपिका नामकी पत्नीसे जन्मी हुई, उपास्ति नामकी, एक कन्या थी । उसने उस भवमें साधुओंके साथ प्रत्यनीकतासे-द्वेषसे-वर्ताव किया। जिससे उसको तिर्यंचादि महाकष्ट दायी योनियोंमें, चिरकालतक भ्रमण करना पड़ा।
अनुक्रमसे उसका जीव, बंगपुरमें, धन्य नामके वणिककी सुन्दरी नामा पत्नीसे, वरुण नामका पुत्र हुआ। उस