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________________ राम लक्ष्मणकी उत्पत्ति, विवाह और वनवास । १७७ mmmmmmmmmmmmmmmmmmmwwwwwwwwwwww तया प्रशंसा सुनी; इस लिए उसको देखने के लिए नारद मिथिला नगरीमें गया । उसने जाकर कन्यागृहमें प्रवेश किया। पीले नेत्रवाले, पीले केशवाले, बड़े पेटवाले, हाथमें छत्री और दंडको रखनेवाले, कोपीन-लंगोटी-को पहिननेवाले, कृषशरीरी और उड़ती हुई चोटीवाले नारदके भयंकर रूपको देख कर सीता डर गई । और 'माँ, माँ' पुकारती हुई वहाँसे गर्भागारमें-अंदरके घरमेंचली गई। सीताकी आवाज सुनकर दासियाँ और द्वारपाल तत्काल ही वहाँ दौड़ गये। उन्होंने कोलाहल करते हुए, जाकर, कंठ, शिखा और बाहुमेंसे नारदको पकड़ लिया। कोलाहल सुन कर 'मारो, मारो, ' करते हुए यमतुल्य शस्त्रधारी राजपुरुष भी वहाँ जा पहुंचे। नारद घबरा गया और बड़ी कठिनताके साथ उनसे वह अपना छुटकारा करा, उड़ कर वैताब्यगिरि पर गया । वहाँ जाकर वह सोचने लगा-" जैसे गाय व्याधियोंके हाथसे बड़ी कठिनतासे छुटकारा पाती है, वैसे ही मैं भी उन दासियोंके हाथसे भाग्य वश छुटकारा पाकर, अनेक विद्याधर राजाओंके निवासस्थान इस वैताढ्य गिरि पर आया हूँ। इस गिरिकी दक्षिण श्रेणीमें इन्द्रके समान
SR No.010289
Book TitleJain Ramayana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranthbhandar Mumbai
Publication Year
Total Pages504
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
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