________________
राम लक्ष्मणकी उत्पत्ति, विवाह और वनवास । १७५
असमर्थ समझते हैं। मगर इक्ष्वाकुवंशके पुरुषों में तो जन्म हीसे पराक्रम सिद्ध है । अतः हे पिता! आप प्रसन्न होकर यहीं रहिए और म्लेच्छोंका उच्छेद करनेकी मुझको
आज्ञा दीजिए । थोड़े ही दिनोंमें आप अपने पुत्रकी 'जयवार्ता सुनेंगे।" " इतना कह, बड़ी कठिनतासे दशरथकी आज्ञा ले, राम अपने अनुज बंधुओं सहित भारी सेना लेकर मिथिलापुर गये । वहाँ जाकर उन्होंने, म्लेच्छ सुभटोंको नगरमें ऐसे फिरते देखा जैसे बड़े वनमें चमूरु-एक प्रकारके हरिणहाथी, शार्दूल, सिंह आदि जन्तु फिरते हैं। ___ जिनकी भुजाओंमें युद्ध करनेकी खुजली चलती है।
और जो अपनेको विजयी समझते हैं ऐसे वे म्लेच्छ तत्काल ही रामकी सेनाको उपद्रवित करने लगे । रजकोधूलको-उड़ानेवाला महावायु जैसे जगतको अंधा बना देता है, वैसे ही उन म्लेच्छोंने रामकी सेनाको, अपने शस्त्रों द्वारा, अंधा बना दिया । उस समय शत्रु और उनकी सेना अपनेको नेता समझने लगे; राजा जनक अपना मृत्यु समझने लगा और लोग अपना संहार मानने लगे। ___ इतनेहीमें हर्षित हृदय रामने बाणको चिल्ले पर चढ़ा या और रणनाटकके वाद्यकी भाँति उसकी टंकारकी। पृथ्वी पर रहे हुए देवकी भाँति, भू-भंग भी न करते हुए,