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राम लक्ष्मणकी उत्पत्ति, विवाह और वनवास । १६७
शक है-ऐसे कुलनंदन शत्रुघ्न नामा पुत्रको जन्म दिया : स्नेहसे रातदिन साथ रहते हुए, भरत और शत्रुन्न भी, दूसरे बलदेव और वासुदेव हों, ऐसे सुशोभित होने लगे। राजा दशरथ भी अपने चार पुत्रोंसे ऐसा शोभित होने लगा जैसे चार गजदंताकृति पर्वतोंसे मेरुगिरी शोभता है। . सीता और भामंडलका पूर्वभव; और जन्म। __ इस जंबूद्वीपके भरतक्षेत्रमें दास नामके ग्राममें एक वसुभूति ब्राह्मण रहता था। उसके अनुकोशा नामकी स्त्रीसे अतिभूति नामा एक पुत्र हुआ । अतिभूतिने सरसा नामा स्त्रीसे ब्याह किया।
कयान नामा एक ब्राह्मण उस पर मोहित हो गया इस लिए वह एक दिन मौका पा, सरसाको छलकर उड़ाले गया।
___किं न कुर्यात्स्मरातुरः।' (कामातुर क्या नहीं करता है ?) अनुभूति उसकों खोजनेके लिए भूतकी भाँति पृथ्वीपर भटकने लगा। पुत्र और पुत्रवधूके लिए उनके पीछे अनुकोशा और वसुभूति भी फिरने लगे। वे सब जगह फिरे; परन्तु उन्हें पुत्र और पुत्रवधूका कहीं पता नहीं मिला। आगे जाते हुए उन्होंने एक मुनिको देखा । उन्होंने भक्तिपूर्वक मुनिको वंदना की। उनके पाससे धर्म सुनकर दोनोंको वैराग्य हो अया। दोनोंने मुनिसे दीक्षा लेली । अनुकोषा गुरुकी