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राम लक्ष्मणकी उत्पत्ति, विवाह और वनवास। १५५ wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww. mmmmmmmmmwww.in
तत्पश्चात साकेत नगरीमें शरणार्थीको शरण देने योग्य और स्नेहियोंके ऋणसे मुक्त रहनेवाला 'अनरण्य ' नामा राजा हुआ । उसके पृथ्वीदेवीके उदरसे 'अनंतरथ'
और 'दशरथ ' नामके दो पुत्र हुए। __ अनरण्यके 'सहस्रकिरण' नामका एक मित्र था,, रावणके साथ युद्ध करते हुए उसको वैराग्य उत्पन्न हो गया; इसलिए उसने दीक्षा लेली । दृढ़मित्रताके कारण उसको भी वैराग्य उत्पन्न होगया। उसने भी एक महीनेके जन्मे हुए अपने छोटे पुत्र दशरथको राज्य गद्दीपर बिठा कर, अपने बड़े पुत्र सहित दीक्षा लेली। समय पाकर अनरण्य मुनि मोक्षमें गये और अनंतरथ मुनि तीव्र तपस्या करते हुए पृथ्वीपर विहार करने लगे।
क्षीरकंठ-दुधमुँहा-दशरथ बाल्यावस्थाहीमें राजा हुआ। उसके वय और पराक्रम एक साथ ही बढ़ते गये । इसलिए नक्षत्रोंमें चंद्रमा, ग्रहोंमें सूर्य और पर्वतोंमें मेरु जैसे सुशोभित होता है, वैसे ही वह भी अनेक राजाओंमें सुशोभित होने लगा।
जब दशरथने राज्य-कारोबार स्वयं चलाना प्रारंभ किया, तब परचक्रसे लोगोंको जो उपद्रव होते थे, वे आकाश-. पुष्पकी भाँति अदृश्य होगये । वह याचकोंको उनकी इच्छानुसार द्रव्य आभूषण आदि देता था; इसलिए वह 'मद्यांग ' आदि दशप्रकारके कल्पवृक्षोंके उपरांत ग्यार--