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जैन रामायण चतुर्थ सर्ग।
हृदयके साथ उसने उसी समय श्रावकके व्रत ग्रहण कर लिए। ___ उसी अरसेमें 'महानगरका' राजा अपुत्री मर गया। वहाँ मंत्रीमंडल कृत पांच दिव्योंद्वारा सोदासका अभिषेक हुआ इस लिए वह वहाँका राजा बनाया गया । ___ सोदासने अपने पुत्र सिंहस्थके पास एक दूत भेजा
और उसको कहलाया कि, वह सोदासकी आज्ञा माने । मगर सिंहरथने दूतको, तिरस्कारकर, निकाल दिया। उसने आकर सोदासको जो बात बनी थी वह सुना दी।
फिर सिंहरथने सोदासपर और सोदासने सिंहस्थपर चढ़ाई की। मार्गमें दोनोके सैन्य मिले । युद्ध प्रारंभ हुआ। अन्तमें सोदासने सिंहस्थको पकड़ लिया । तत्पश्चात सोदास, सिंहस्थको दोनों राज्य सोंप, साधु बन गया।
दशरथराजाका जन्म, राज्य और ब्याह । सिंहरथका पुत्र ब्रह्मरथ हुआ । उसके बाद क्रमसे, चतुरमुख, हेमरथ, शतरथ, उदयपृथु, वादिरथ, इन्दुरथ, आदित्यरथ, मानधाता, वीरसेन, प्रतिमन्यु, पद्मबंधु, रविमन्यु, वसंततिलक, कुबेरदत्त, कुंथु, शरभ, द्विरद, सिंहदसन, हिरण्यकशिपु, पुंजस्थल, काकुस्थल और रघु आदि राजा हुए। उनमेंसे कितने ही मोक्षमें गये और कितने ही स्वर्गमें गये।