________________
राम लक्ष्मणकी उत्पत्ति, विवाह और वनवास |
पड़ता है कि, यह स्त्री अवश्यमेव असती है । सती स्त्रियोंके लिए तो पति ही देव होता है, इस लिए जब वे पति सेवाके सिवा दूसरा कोई कार्य ही नहीं जानती हैं, तब फिर ऐसा कार्य तो वे कैसे कर सकती हैं ? " इस भाँति विचार कर, उसने खंडित प्रतिमाकी भाँति अपनी अतीव प्यारी पत्नी सिंहिकाका त्याग कर दिया ।
एकवार नघुष राजाको दाहज्वर हो आया । वह सैकड़ों उपचार करने पर भी दुष्ट शत्रुकी भाँति शांत नहीं हुआ । उस समय सिंहिका अपना सतीपन बताने और पतिकी पीड़ाको शमन करनेके लिए जल लेकर उसके पास गई। और अपने सतीपनको प्रकट करती हुई बोली:- "हे नाथ ! यदि मैंने आपके सिवा किसी अन्य पुरुषकी कभी भी इच्छा न की हो, तो आपका ज्वर मेरे जलके छींटने से इसी समय चला जाय । ".
सिंहिकाने अपने साथ लाया हुआ जल छींटा । अमृतके छींटोंकी भाँति उसका प्रभाव हुआ । नघुष तत्काल ही ज्वरमुक्त हो गया । देवताओंने सती पर फूल बरसाये । राजाने भी उसी समय मान सहित पूर्ववत उसको स्वीकार कर लिया ।
१५१
~~~
राजा सोदासका परम श्रावक बनना । कितना ही समय बीत गया। फिर नघुषके सिंहिका के उदरसे एक 'सोदास' नामका पुत्र जन्मा । वह जब योग्य