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राम लक्ष्मणकी उत्पत्ति, विवाह और वनवास । १४७
wwwwwwwwwwww निकलवा दिया है। यह बात सुकोशलकी धायको ज्ञात हुई । वह दहाड़ें मार मारकर रोने लगी । राजा सुकोशलने उसको रोनेका कारण पूछा । उसने शोकयुक्त गद्गद स्वरमें उत्तर दिया:-" हे वत्स ! जब तुम बालक थे, तब तुम्हारे पिताने तुम्हें राज्यासनपर बिठाकर दीक्षा ली थी। वे अभी भिक्षाके लिए अपने नगरमें आये थे । उनको तुम्हारी माताने, यह सोचकर नगरसे वाहिर निकलवा दिया कि, कहीं तुम उन्हें देखकर दीक्षा न ले लो। इसी दुःखसे मैं रुदन कर रही हूँ ।” ___धायकी बात सुनकर, सुकोशलका हृदय विरक्त हो गया। वह उसी समय पिताके पास-कीर्तिधर मुनिके पास-गया
और उनसे उसने हाथ जोड़कर दीक्षा ग्रहण करनेकी याचना की। ___ उसकी पत्नी 'चित्रमाला ' उस समय गर्भिणी थी। वह मंत्रियोंसहित सुकोशलके पास गई और कहने लगी:"हे स्वामी ! इस राज्यको छोड़कर अनाथ बना देना आपके लिए योग्य नहीं है।"
सुकोशलने उत्तर दिया:-" तेरे गर्भमें जो पुत्र है उसको मैंने राज्यका स्वामी बनाया है, क्योंकि 'भविष्यकालमें भी भूतकालका उपचार होता है।"
ऐसा कह, सबको ढारस बँधा, सुकोशलने, पिताके पाससे दीक्षा ले, कठोर तपस्या प्रारंभ की । ममता रहित,