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हनुमानकी उत्पत्ति और वरुणका साधन। १३७
wwwwwwwwwwwwwwwwwwimmorm प्रतीत होते थे, मानो तारोंकी पंक्ति चली जा रही है । महेन्द्र राजा भी मानसवेगा सहित वहाँ गया और केतुमती देवी व अन्यान्य संबंधी भी वहाँ जा पहुँचे । एक दूसरेके संबंधी और बंधुरूप वहाँ गये हुए विद्याधर राजा ओंने आपसमें मिलकर बहुत बड़ा-पहिलेसे भी अच्छाउत्सव किया। फिर सारे विद्याधर परस्पर रुख्सत लेकर अपने अपने नगरों को गये ! पवनंजय अपनी पिया अंजना और पुत्र हनुमान सहित वहीं रहा।
हनुमानका वरुणको हराना। कुमार हनुमानने पिताकी इच्छानुकूल पालित पोषित होकर सारी कलाएँ और विद्याएँ साध ली । शेषनागके समान लंबी भुजाओं वाला; शस्त्रास्त्रोंमे प्रवीण और सूर्यके समान कांतिवान हनुमान क्रमशः यौवनावस्थाको प्राप्त हुआ। ___ उस समय क्रोधियोंमें श्रेष्ठ और बलके ‘पर्वत समान रावण संधिमें कुछ दूषण निकाल करके वरुणको जीतनेके लिए चला । आमंत्रित विद्याधर वैताब्य गिरिके कटकके समान कटक तैयार करके उसकी सहायतार्थ जानेको तैयार हुए । पवनंजय और प्रतिसूर्य भी वहाँ जानेको तैयार हुए । तब आधारके लिए गिरिके समान हनुमानने कहाः" हे पिताओ ! आप दोनों यहीं रहो मैं अकेला ही सब शत्रुओंको जीत लूँगा । कहा है कि
'प्रहरेद्वाहुना को हि तीक्षणे प्रहरणे सति ।"