SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शासन यक्षिया ८५ यक्षियो की सूची के विकास के संबध न हम आगे चर्चा करेंगे । पर यहा इतना उल्लेख कर देना उचित होगा कि संभवत: विद्यादेवियो के नामों को लेकर ही यक्षिया का कल्पना विकसित हृयो । दिगम्बरो की सूची तो स्पष्ट रूपेण विद्यादेवियो न प्रभावित है । उम समय तक चक्रेश्वरी को मान्यता बढ चकी थी इलिये उमे यदिया में प्रथम स्थान प्राप्त हो गया और तत्पश्चात् विद्यावियो के नाम वालो पन्ध यक्षियो को स्थान दिया गया। किस प्रकार विद्यादेवियो को यक्षियो म स्थान मिला, इसका अनुमान नीचे दी गयी तालिका से मकता है :ऋ० विद्यादेवी का नाम दिगम्बर आम्नाय म श्वेताम्बर आम्नाय मे उमी नाम की यक्षा उसी नाम की यक्षो १ राहिणी द्वितीय तीर्थकर को यक्षी २ प्रज्ञप्ति ततीय तीर्थकर की यक्षी ३ वज्र,ग्वला चतुर्थ तीर्थकर की यक्षी ४ वज्राकुशा ___ चौदहवे तीर्थकर की यक्षी अकुशा ५ अप्रतिचका या प्रथम तीर्थकर की यक्षी प्रथम तीर्थकर का यक्षी चक्रेश्वरी (श्वेताम्बर) ६ पुरुपदत्ता पचम तीर्थकर की यक्षी बीमवे तीर्थकर का यक्षी ७ काली सप्तम तीर्थंकर की यक्षा चतुर्थ तीर्थकर की यक्षी ८ महाकाली (महापरा) नौवे तीर्थकर की यक्षी पाचवे तार्थकर की यक्षी ६ गौरी ग्यारहवे तीर्थकर की यक्षी १० गाधारी बारहवे तीर्थकर की यक्षी ५१ ज्वालामालिनी आठव तीर्थकर की यक्षा (ज्वाला) १२ मानवों ___ग्यारहवे तीर्थकर की यक्षी १३ रोटी, रोट्या तेरहवे तीर्थकर की यक्षी उन्नीसवे तीर्थकर की यक्षी १४ अच्युता - छठे तीर्थकर की यक्षी १५ मानसी पंद्रहवें तीर्थकर की यक्षी १६ महामानसी मोलहवे तीर्थकर की यक्षी हम ऊपर देख पाये है कि यक्षो के नामों के संबंध में दिगम्बर और श्वेताम्बर मान्यतापों मे अपेक्षाकृत कम मतभेद है, पर यक्षियों की सूची में
SR No.010288
Book TitleJain Pratima Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchand Jain
PublisherMadanmahal General Stores Jabalpur
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy