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शासन यक्षियां
गमति
क्र० तिलोय० प्रतिष्ठासार० प्रभि.चि० अपराजित० तीर्थकर ३. प्रज्ञप्ति प्रज्ञप्ति' दुरितारि प्रज्ञा संभव ४. वज्रशृंवला वजशृंखला२ कालिका३ वज्रशृंखला अभिनन्दन ५, वज्राकुशा पुरुपदत्ता महाकाली नरदत्ता ६. अप्रतिचक्रेश्वरी मनोवेगा श्यामा मनोवेगा पद्मप्रभ ७. पुरुषदत्ता वाली
शान्ता
कालिका मुपारवं ८. मनवेगा ज्वालिनी भृकुट ज्वालामालिका चन्द्रप्रभ ९. काली महाकाली सुतारका महाकाली पुष्पदन्त १०. ज्वालामालिनी मानवी प्रशोका मानवी गोतल ११. महाकाली गोरी
गोरी १२ गारी गाधारी
चण्डा
गांधारिका वापुज्य ३. गाधारी वरोटी" विदिता" विराटा विमल १४. रोटी अनंतमती अंकुशा तारिका अनन्त ५. अनंतमती मानमी कन्दर्पा अनंतागति धर्म
मानवी।
श्रेयांम
१. अपर नाम नम्रा बनाया है । २. नेमिचन्द्र ने पविशृंखला । वमुनन्दि ने अपर नाम दुरितारि कहा है। ३. प्राचारदिनकर में काली नाम मिलता है। ४. अपर नाम मंमारी कहा गया है । ५. विष्टिगलाकारूषचरित, निर्वाणकनिका, प्राचारदिनकर, प्रवचन
सारोद्धार आदि ग्रन्या में अच्युता नाम है ।
अपर नाम मानवी। ७. निर्वाणलिका, त्रिषष्टिशलाकापुरूषचरित्र प्रादि मे शान्ति नाम का
उल्लेख है। ८. ज्वालामालिनी नाम भी है। ६. अन्य ग्रन्थों में मुतारा नाम भी मिलता है । १०. अपर नाम गोमेधकी। ११. प्रवचनसारोद्धार में श्रीवत्सा । १२. प्रवचनसारोदार में प्रवरा, त्रिपष्टिशलाकापुरुष ग्त्र में चन्द्रा,
आचारदिनकर और निर्वाणकलिका में प्रचण्डा । १३. नेमिचन्द्र ने प्रतिष्ठातिलक में वरोटिका नाम कहा है। १४. प्रवचनसारोद्धार में विजया नाम है ।
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