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विद्यादेवियां
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है। दिगम्बर परम्परा के वसुनन्दि ने इसे प्रणाममुद्रायुक्त कहा है किंतु प्रागाधर और नेमिचन्द्र' ने प्रक्षमाला, वरद, माला ओर अंकुश ये चार प्रायुध बताये हैं । प्राचारदिनकरकार ने खड्ग और वरद इन दो प्रायुधों का उल्लेख किया है । निर्वाणकलिका ने दायें हाथों में से एक को वरद मुद्रामें स्थित मौर दूसरे में तलवार तथा बायें हाथों में कमण्डलु और ढाल, इस प्रकार चार मायुध बताये हैं । दिगम्बर परम्परा में सोलहवे तीर्थकर की यक्षी का नाम भी महामानसी है।
१. प्रतिष्ठातिलक, पृष्ठ २८६ । २. निर्वाणकलिका, पन्ना ३८ ।