SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 76
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६४ जैन प्रतिमाविज्ञान वमुनन्दि ने अच्युता को वचहस्ता कहा है। प्राशापर ने उसके दो हाथी का नमस्कार मुद्रा में बताया है। नेमिचन्द्र ने एक प्रायुध खड्ग कहा है । इस प्रकार दो हाथ नमस्कार मुद्रामे, एक हाथमे खड्ग और चौथे हाथ गे वज्र, यह अच्युता देवी का रूप प्रतीत होता है। निर्वाणकलिका मे देवीके चार प्रायुध इम प्रकार बनाये गये हैं, दाये हाथो में खड्ग और बाण तथा बाये हाथो म खेटक पार सर्प ।' आचारदिनकर के अनुमार दाये हाथो मे बाण और खड्ग तथा बाये हाथो मे धनुष और ढाल इस प्रकार चार प्रायुध होते हैं । श्वेताम्बर परम्पगमे छठे तीर्थकर की यक्षी का भी नाम अच्युना है। प्रवचनमारोदार में वही नाम मत्रहवे तीर्थंकर की यक्षी का बताया गया हैं । मानमी पद्रहवी विद्यादवी मानसी है । उसका वर्ण अागाधर मौर नेमिचन्द्र ने लाल, वसुनन्दि ने रत्नप्रभ, प्राचारदिनकर ने जाम्बूनदप्रभ और निर्वाणकलिका ने धवल बनाया है। दिगम्बरों के अनुसार मानमीका वाहन मर्प है किन्तु प्राचारदिनकर मे वह हसवाहना बतायी गयी है।' निर्वाणकलिका के विवरण के अनुमार' मानमी का दाये प्रोर का एक हाथ वरद मुद्रा में और उसके दूसरे हाथ म वज्र होता है । देवी के बाये हाथो में अक्षवलय और प्रशान होने का उल्लेख मिलता है । दिगम्बर परम्परा के वमुनन्दि और नेमिचन्द्र ने इस विद्यादेवी को नमस्कार मुद्रा युक्त तो बताया है किन्तु अन्य दो हाथो के आयुधो की सूचना नही दी है । दिगम्बर परम्परामे पद्रहवे तीर्थकर की यक्षी का नाम भी मानसी है। महामानसी __ सालहवा विद्यादेवी महामानसी को दिगम्बर परम्परा के ग्रन्थ रक्तवर्ण और श्वेताम्बर परम्पराके ग्रन्थ धवलवर्ण बताते हैं । दिगम्बरा के अनुसार महामानसा हमवाहना है । इवताम्बर परम्पराके प्राचारदिनकर मे इसे मकरवाहना प्रार निर्वाणलिका मे सिहवाहना कहा गया है। यह विद्यादवी चतुर्भुजा १. प्रतिष्ठातिलक, पृष्ठ २८८ । ५. निर्वाण कलिका, पन्ना ३८ । ३ उदय ३३, पन्ना १६३ । ४. पन्ना ३८ । ५. प्रतिष्ठासारसंग्रह, ६, प्रतिष्ठातिलक, पृष्ठ २८६ । ६. उदय ३३, पन्ना १६३ ७. पन्ना ३८
SR No.010288
Book TitleJain Pratima Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchand Jain
PublisherMadanmahal General Stores Jabalpur
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy