________________
विद्यादेवियां
वरद मुद्रा में ।' यक्षियों की सूचियों में मानवी का नाम दिगम्बर परम्परा में सातवें और दसवें दोनों तीर्थंकरों के साथ मिलता है किन्तु कहीं कहीं उन तीर्थकरों की यक्षियां क्रमशः कालो मोर चामुण्डा भी कही गयी हैं । श्वेताम्बर परम्परा में ग्यारहवें तीर्थकर की यक्षी का नाम मानवी बताया गया हैं । वरोटी | वैरोट्या
तेरहवी विद्यादेवी का नाम दिगम्बरों में रोटी मोर श्वेताम्बरों में वैरोट्या प्रचलित है । उसका वर्ण नेमिचन्द्र ने स्वर्ण के समान बताया है किन्तु अन्य दिगम्बर ग्रन्थकार नील वर्ण बताते हैं । श्वेताम्बर परम्परा के ग्रन्थों में से निर्वाण कलिका में इस विद्यादेवी का वर्ण श्याम किन्तु प्राचार दिनकर में गौर कहा गया है । दिगम्बरों के अनुसार रोटी का वाहन सिंह है । प्राचार दिनकर कार भी वैरोट्या का वाहन सिंह बताते है किन्तु निर्वाणकलिका के अनुसार वह अजगरवाहना है ।' रोटी और वैरोट्या दोनों ही रूप में यह विद्या देवी चतुर्भुजा है । वसुनन्दि ने इसे सर्पहस्ता कहा है, अन्य प्रायुषों का उल्लेख नहीं किया । नेमिचन्द्र ने भी सपं का ही उल्लेख किया है। निर्वाण कलिका के अनुसार दायें हाथो में खड्ग और सर्प तथा बायें हाथों में खेटक मोर सर्प होते है ।' आचार दिनकर के विवरण से प्रतीत होता हैं कि देवी के उपरले दोनों हाथों में खड्ग और ढाल तथा निचले हाथों में से एक हाथ में सर्प और दूसरा हाथ वरद मुद्रा में होता है । वैरोटी यक्षी का नाम दिगम्बर परम्परा में तेरहवें तीर्थकर के साथ और वैरोट्या का नाम श्वेताम्बर परम्परा में उन्नीसवें तीर्थकर के साथ मिलता है। उन शासन यक्षियों के लक्षण इन विद्यादेवियों से भिन्न प्रकार के बताये गये हैं। अच्युता/ अच्छुप्ता
चौदहवी विद्यादेवी का नाम दिगम्बर परम्परामें अच्युता और श्वेताम्बर परम्परामें अच्छुप्ता मिलता है । वर्ण दोनों का ही स्वर्ण या विद्युत् के समान बताया गया है । दोनों विग्रहों में यह विद्यादेवी अश्ववाहना और चतुभुजा है । खड्ग इस देवी की खास पहचान है ।
१. निवाणकालका, पन्ना ३८ । २. प्रतिष्ठातिलक, पन्ना २८८ । ३. पन्ना ३८ । ४. उदय ३३, पन्ना १६३