SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चतुविशति तीर्थंकर ४ ५ ७ ८ ह १० ११ १२ १३ १४ १५ १६ १७ १८ १६ २० २१ २२ २३ २४ तीर्थकर संभवनाथ अभिनंदननाथ सुमतिनाथ पद्मप्रभ सुपार्श्वनाथ चन्द्रप्रभ पुष्पदन्त शीतलनाथ श्रेयांसनाथ वासुपूज्य विमलनाथ अनन्तनाथ धर्मनाथ शान्तिनाथ कुन्थुनाथ भरनाथ मल्लिनाथ मुनिसुव्रतनाथ नमिनाथ नेमिनाथ पार्श्वनाथ महावीर माता सुषेणा या सेना सिद्धार्था मंगला या सुमंगला सुसीमा वसुंधरा या पृथिवी लक्ष्मणा रामा सुनन्दा या नन्दा विष्णु या वेणुदेवी विजया या जया सुगलक्ष्मी या श्यामा सुयशा या सर्व यशा सुव्रता या सुप्रभा ऐरा या अचिरा श्रीमतीदेवी मित्रा या देवी प्रभावती पद्मा या प्रभावती वप्रा शिवा वामा या ब्रह्मा त्रिशला या प्रियकारिणी पिता जितारि संवर मेघ या मेघप्रभ धरण सुप्रतिष्ठ महासन सुग्रीव दृढ़रथ विष्ण वसुपूज्य कृतवर्मा सिहरान भानु विश्वसेन सूर या सूर्यसेन सुदर्शन कुम्भ सुमित्र विजय ३५ समुद्रविजय अश्वसेन सिद्धार्थ जैन ग्रन्थों में, तीर्थंकरो के माता के गर्भ में ग्राने की तिथि, नक्षत्र, जिस स्वर्ग विमान से च्युत होकर आये उसका नाम, जन्म का निथि, जन्मनक्षत्र जन्मराशि आदि के विवरण भी उपलब्ध है । किन्तु उनका उल्लेख यहा नही किया जा रहा है । जिन माता के स्वप्न तीर्थकर के माता के गर्भ में आनेके समय जिनेन्द्रजननी कुछ स्वप्न देखती हैं । दिगम्बर परम्परा के अनुसार वे सोलह हैं और श्वेताम्बर परम्परा के
SR No.010288
Book TitleJain Pratima Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchand Jain
PublisherMadanmahal General Stores Jabalpur
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy