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________________ ३२ जैन प्रतिमाविज्ञान इसमें कुछ अपवाद भी हुये । इसके तृतीय काल (सुषमादुषमा) के चौरामी लाख पूर्व, तीन वर्ष, पाठ मास और एक पक्षके शेष रहने पर प्रथम तीर्थकर श्री ऋषभदेव का जन्म हुमा । ऋषभनाथ के निर्वाणके पश्चात् तीन वर्ष और साढ़े तीन माम का समय व्यतीत होने पर चतुर्थ काल दुषमामुपमा प्रविष्ट हुप्रा ।' अन्य तेईम तीर्थंकर चतुर्थकाल में ही हुये। अंतिम तीर्थकर महावीर. स्वामी के निर्वाण के पश्चात् तीन वर्ष और साढ़े पाठ मास का समय और बीत जाने पर पंचमकाल (दुषमा) प्रारंभ हुआ जो प्रभी चल रहा है । पंचम मोर षष्ठ काल में भी तीर्थकर नहीं होते। ___अतीत उत्सपिगी और अनागत उत्सर्पिणी में हुये और होने वाले २४-२४ तीर्थकरों की सूची जैन ग्रन्थों में मिलती है। वर्तमान अवसर्पिगी के २४ तीर्थंकरों को जोड़कर ७२ तीर्थकर होते हैं । जैन ग्रन्थों में अक्सर ७२ जिनालयों या जिनबिम्बों का उल्लेख मिलता है । इन बहत्तर नीर्थकरों की जैन मंदिरों में नित्य पूजा-अर्चा की जाती है । जमा कि उपर बताया जा सका है, ये भरतक्षेत्र के तीर्थकर हैं । भरत, ऐरावत और विदेह क्षेत्र में कर्मभूमिया होती है । अन्य क्षेत्रों में कुछ भूमि-देवकुम और उत्तरकुरु-होने से वहाँ तीर्थकर नहीं होते । विदेह क्षेत्र में सदैव कर्मभूमिकी रचना रहने के कारण वहा तीर्थकर सदैव विद्यमान रहते है। विदेह क्षेत्रके विद्यमान २० तीर्थकरों की पूजा भी जैनमंदिरों में नित्य की जाती है । पंच कल्याणक तीर्थकरों के जीवन की पांच मुख्य घटनाओं को पंचकल्याणक कहा जाता है । वे हैं, तीर्थकर के जीव का माता के गर्भ में आना, तीर्थकर का जन्म होना, तीर्थकर द्वारा गृह त्यागकर तप ग्रहण करता, चार घातिया कर्मों का क्षय करके केवलज्ञान प्राप्त करना और अन्त में शेष चार अघातिया कर्मो का भी सम्पूर्ण रूपसे क्षय करके निर्वाण प्राप्त करना । इस प्रकार गर्भकल्याणक, जन्मकल्याणक, तपकल्याणक, ज्ञान-कल्याणक और निर्वाणकल्याणक ये पंचकल्याणक होते है । इन कल्याणकों के प्रवसर पर देवतानों द्वारा उत्सव मनाये १. तिलोयपण्णत्ती ४/१२७६ २, वही, ४/१४७४ ३. तिलोयपण्णत्ती महाधिकार ४; प्रवचनसारोद्धार द्वार ७, गाथा २६०-६२, २६५-६७ तथा अन्य अनेक ग्रन्थ ।
SR No.010288
Book TitleJain Pratima Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchand Jain
PublisherMadanmahal General Stores Jabalpur
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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