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________________ चतुविशति तीर्थकर संसार के प्रति वैराग्य हो गया और वे साधु हो गये । शान्ति कुन्थु और पर ये तीन चक्रवतों तीर्थंकर भी हुये हैं । बलराम नारायण के ज्येष्ठ भ्राता होते हैं। वर्तमान अवसर्पिणी में विजय, अचल, सुधर्म, सुप्रभ, सुदर्शन, नन्दो, नन्दिमित्र, राम, और पद्म ये नी बलराम या बलदेव हुये । इनमें से अन्तिम दो सुप्रसिद्ध हैं। नारायण को विष्णु भी कहा गया है । वर्तमानकाल के नौ नारायण ये हैं, त्रिपृष्ठ, द्विपृष्ठ, स्वयंभू, पुरुषोत्तम, पुरुषसिंह, पुरुषपुण्डरीक, पुरुषदत्त, नारायण और कृष्ण'। इनमें से अष्टम नारायण को लक्ष्मण भी कहा जाता है । प्रतिनारायण नारायण के विरोधी हुमा करते हैं। उनकी सूची इस प्रकार है, अश्वग्रीव, तारक, मेरक, मधुकैटभ, निशुम्भ, बलि, प्रहरण या प्रहलाद, रावण और जरासंध ।' किन्हीं-किन्हीं ग्रन्थों में प्रतिनारायणों की गणना शलाकापुरुषों की सूची में नहीं की गयी है । ___उपर्युक्त महापुरुषों के अतिरिक्त एकादश रुद्रों और नव नारदों का भी विवरण जैन ग्रन्थों में मिलता है। भीमावलि, जितशत्रु, रुद्र, विश्वानल, सुप्रतिष्ठ, अचल, पुण्डरीक, अजितंधर, अजितनाभि, पीठ और सात्यकीपुत्र ये एकादश रुद्र' तथा भीम, महाभीम, रुद्र, महारुद्र, काल, महाकाल, दुर्मुख, नरकमुख भोर अधोमुख, ये नव नारद हैं।' तीर्थकर तीर्थकरों समेत सभी शलाकापुरुष चतुर्थ काल में हुआ करते हैं, यह ऊपर बताया गया है किन्तु वर्तमान अवसपिणी हुण्डा अवसर्पिणी होने के कारण १. बाहुबली की प्रतिमाएं बनायी जाती हैं। कर्नाटक की सुप्रसिद्ध ___ गोम्मटेश्वर प्रतिमा बाहुबली की है। २. तिलोयपण्णत्ती, ४।५१७ । एक अन्य सूची में अचल, विचल, भद्र, सुप्रम, सुदर्शन, मानन्द, नन्दन, पद्म और राम ये नाम मिलते हैं । ३. वही, ४१५१८ ४. तिलोयपण्णत्ती, ४/५१६ ५. वही, ४/५२०-२१ ६. वही, ४/१४६६
SR No.010288
Book TitleJain Pratima Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchand Jain
PublisherMadanmahal General Stores Jabalpur
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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