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नव ग्रह
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निर्वाणकलिका के अनुसार' सूर्य हिंगुलवर्ण, सोम और शुक्र श्वेतवर्ण, मंगल रक्तवर्ण, बुध और गुरु पीतवर्ण, शनि ईषत्कृष्ण, राहु प्रति कृष्ण और केतु धूमवर्ण है । प्राचारदिनकर में सूर्य २ को स्फटिक के समान उज्ज्वल बताया गया है । सूर्य के वस्त्रों का रंग लाल, चन्द्र के श्वेत, मंगल के लाल, बुध के हरित, बृहस्पति के पीत, शुक्र के श्वेत, शनि के नील तथा राहु और केतु के वस्त्रों का रंग श्याम कहा गया है ।
वाहन
भूमि
बुध
na
प्राचारदिनकर में ग्रहों के वाहन इस प्रकार बताये गये है
सप्ताश्व रथ चन्द्र
प्रश्व मंगल
कलहंस बृहस्पति हम शुक्र
प्रश्व शनि
कमठ गट
पन्नग सकलचन्द्र गणी ने सूर्य को गज वृषभसिंहतरग वाहन, मोम को मृगवाहन, भौम को गजवाहन, बुध को केसरीवाहन, बृहस्पति को हंसगरुडवाहन, शुक्र को शूकरवाहन और शनि को मेषवाहन कहा है । पंडित परमानंद की सिंहासनप्रतिष्ठा में ग्रहों के वाहन भिन्न प्रकार से बताये गये है। भजाए
सभी ग्रह द्विभज निम्पित किए गए है। निर्वाणकलिका के अनुसार सूर्य के दोनों हाथां म कमल हैं । प्रर्धकायरहित राहु के दोनो हाथ अर्घ मुद्रा में होते है । अन्य सभी ग्रह अक्षमूत्र एवं कुण्डिका धारी है। सिहासनप्रतिष्ठा में ग्रहो के प्रायुध भिन्न बताये गये है, यथा मोम कुन्तधारी,मंगल त्रिशूलधारी, बृहस्पति पुस्तकधारी, शुक्र महिधारी अादि आदि । प्राचारदिनकर ने सूर्य को कमलहस्त, चन्द्र को सुधाकुम्भहस्त, मंगल को कुद्दालहस्त, बुध को पुस्तकहस्त, शुक्र को कुम्भहस्त, शनि को परशुहस्त, राहु को भी परशुहस्त और केतु को
१. पन्ना ३८ २. उदय ३३, पन्ना १८१ ।