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जन प्रतिमाविज्ञान
वाराही
उत्तर दिशा में स्थापित की जाने वाली वाराही का वर्ण श्याम है। वह वन्य वाराह पर सवारी करती है । उसके प्रायुध अभय और सीर (हल) हैं ।' प्राचारदिनकर में वाराही का वाहन शेष (नाग), मुख वराह का तथा प्रायुध चक्र और खड्ग बताए गये है।' ब्रह्माणी
ब्रह्माणी की स्थापना प्राग्नेय दिशा में की जाती है । उसका वर्ण पद्म जैसा लाल और यान भी पद्म ही है । ब्रह्माणी के हाथ में मुद्गर होता है।' प्राचारदिनकर के अनुसार ब्रह्माणी का वर्ण श्वेत, वाहन हंम एवं आयुध वीणा, पुस्तक, पद्म प्रौर अक्षसूत्र है ।' महालक्ष्मी /त्रिपुरा
भट्ट अकलंक के प्रतिष्ठाकल्प में महालक्ष्मी, नेमिचन्द्र के प्रतिष्ठातिलक में लक्ष्मी और प्राचारदिनकर में त्रिपुरा के नाम से इस मातृका का वर्णन है । नेमिचन्द्र के अनुसार लक्ष्मी दक्षिण-पश्चिम कोण में स्थित होती है। उसका वर्ण श्वेत, वाहन उलूक और मुख्य प्रायुध गदा है ।५ प्राचारदिनकर मे त्रिपुरा का वर्ण श्वेत, वाहन सिंह तथा मायुध, पन, पुस्तक, वरद और अभय बताये गये हैं।
चामुण्डा
चामुण्डा या चामुण्डिका को वेदी के उत्तर-पश्चिम कोण मे स्थापित किया जाता है। मध्याह्न के सूर्य के समान दीप्त चामुण्डा प्रेतवाहना है । उसके मायुध दण्ड एवं शक्ति बताये गए हैं। प्राचारदिनकर के अनुसार चामुण्डा का वर्ण धूसर और वाहन प्रेत है । उसका सम्पूर्ण शरीर शिराजाल से
१. प्रतिष्ठातिलक, पन्ना ३६६ २ उदय ६, पन्ना १३ ३. प्रतिष्ठातिलक, पन्ना ३६६ ४. उदय ६, पन्ना १२ ५. प्रतिष्टातिलक, पन्ना ३६६ ६. उदय ६, पन्ना १३ ७. प्रतिष्ठातिलक, पन्ना ३६६