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शासन देवतानों की उत्पत्ति
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जया
अरनाथ तारादेवी १६. मल्लिनाथ भीमदेवो
मुनिमुव्रतनाथ - नमिन'थ नेमिनाथ अम्बिका
पार्श्वनाथ पद्मावती २४. महावीरस्वामी अपराजिता
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विजा
जिता बहामी कामागिनी सदमा मिदायिनी
२३.
नागौद के निकट प्राप्त पतानी या पता:न देवो के नाम से ज्ञात अम्बिका प्रतिमा के तीन प्रोर अन्य तेईम यक्षिषा का छाटी घाटी प्रतिमाएं निर्मित की गयी है। उन मन के माथ उनके नाम भी उत्को । यद्यपि उनमेसे कई नाम ठेक ठीक नही पड़े जा सके है पर उनमे यक्षियों के नाम एम प्रकार ज्ञात होते है :
बहुरूपिणी, चामुण्डा, सरस्वती, पद्मावती, विजया, अपराजिता, महामान मी, अनन्तमती, गाधारी, मानमी, ज्वालामालिनी, भाउमी, वज्रशृंखला, भानुजा ?, जया, अनन्तमती, वरोट्या, गौरी, महाकाली, काली, बुधदधी ?, प्रजापति ? बह्नि ?
श्री उमाकान्त शाह का विचार है कि उपर्युक्त यक्षी प्रतिमाए तिलो. यपण्णत्ती के अनुमार है और वे देवगढ़ की प्रतिमामा के निर्माण से पश्चात् की तथा प्राशाधर मे पूर्व की हैं। देवगढ में सरस्वती की चतुर्भुजा प्रतिमा १०७० ईस्वी मे निर्मित की गयी थी। वही ममय मुमालिनी की प्रतिमा का भी है । हिन्दू और बौद्ध प्रभाव
जैन शासनदेवताओं की सूची में ब्रह्म, कुमार, षण्मुग्व, वरुण, ईशान, चामुण्डा, चण्डा, काली, महाकाली, गौरी प्रादि अनेक नाम ऐसे हैं जो हिन्दू देववाद में भी हैं । उमी प्रकार, तारा, भृकुटि, विद्युन्ज्वालाकराली, वज]. खला, वज्राकुगा, अपगजिता जमे नाम बोद्धों की देवियो के है ।
तांत्रिक युग मे जनसमुदाय को अपने धर्म के प्रति आकृष्ट करने के लिये अपने देवताओं को उच्च और उत्कृष्ट दिग्वाना अावश्यक हो गया था। महायानी बौद्धों ने हिन्दू देवनामों को अपराजिता जमी देवियों द्वारा पददलित
१. अब इलाहाबाद मप्रहालयम मुराक्षन ।