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शासन यभियां
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वरदमुदा के स्थान पर व्यालांबर हुप्रा करता है ।' वसुनन्दि ने पद्मावती के प्रायुधों का वर्णन विस्तार से किया है। उनके अनुमार चतुर्भुजा पद्मावती अंकुश, अनमूत्र, कमल पोर संभवत: वरदमुद्रा धारण करती है ; षड्भुजा देवी के हाथों में पाय, अमि. कुंत, अर्धचन्द्र, गदा और मूसल हुया करते है, जबकि चतुर्विशतिभुजा अवस्थाके प्रायुध, शंख, अमि,चक्र,अर्धचन्द्र, स्वेतपद्म, उत्पल (नीलकमल), धनुष,शक्ति,पाय, गंकुग,घण्टा, बाण,मूसल, खेटक,विशूल, परशु, वज्र, माला,फल, गदा, पत्रपल्लव, वरदमुद्रा तथा अन्य दो होते है । रूपमण्डन ने पद्म, पाश, अंकुश और बीजपूर तथा अपगजितपृच्छा ने पादा, अंकुग, पद्म और वरदमुद्रा इनका विधान किया है।
____ प्राचारदिनकर में पद्मावती के दायें हाथों के आयुध पद्म और पाग तथा बायें हाथों के आयुध अंकुश और दधिफल कहे गये है ।' निर्माणकलिका में भी दाये हाथों में पद्म और पाश का, तथा वाये हाथों में फन और अंकुरा का उल्लेख है । श्रीचन्द्र मुरि ने पद्म, अंकुम, वग्द और पाग तथा महिलपेण ने वामोर्ध्व कर क्रम में पाग, फन, वरद प्रौर अंकुश, इन प्रायुधो का वर्णन किया है।
भैरवपद्मावतीकल्प ( ?!:) में पम देवी के तोतला, त्वरिता, नि-या, निपुग, काममाधिनी और त्रिपुरभैरव, इन छह भिन्न भिन्न FII का लेख है । तोतला के प्रायुध, पाश, पत्र, फन और कमल है। त्वरिता रक्त वर्ण की हैमोर गग्व, पद्म, अभयमुद्रा तथा वरमुद्रा धारण करती है। निन्या म्र में देवी की जटाए बालचन्द्र में मति होत है । उसके हाथों म पाग, अंकुश, कमल और क्षमाला, तथा वाहन हंम: । क्रम के समान वयं वाली त्रिपुग को पाठ भुजाणो मे शून, चक, कगा, कमन, चाप, बाण, फल और अंकुग होते है । काममाधिनी बधक पुष्प के ममान वर्ण वाली है और शंख, पद्म, फल एवं कमल धारण करती है। त्रिपुरभैरवा का वर्ण इन्द्रगोप के समान है। वह विलोचना है । उसके हाथों में पाग, चक्र, धनुष, बाण, खेट, खड्ग, फल और अम्बुज हुया करते हैं।
१. प्रतिष्ठामाराद्धार, ३/ ७७ २. प्रतिष्ठासारसंग्रह, ५/६०-६८ ३. प्राचारदिनकर, उदय ३३, पन्ना १७८ ४. निर्वाणलिका, पन्ना ३७ ५. अद्भुतपद्मावतीकल्प, ४/५२-५४ ६. भैरवपद्मावतीकल्प, १/२