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________________ शासन यक्षियां अनन्तमती / अंकुशा चौदहवें तीर्थकर अनन्तनाथ की यक्षी दिगम्बरों के अनुसार अनन्तमती और श्वेताम्बरों के अनुसार अंकुशा है । वसनन्दि ने अनन्तमती का अपर नाम विज़म्भिणी भी कहा है । अपराजितपृच्छामे चौदहवी यक्षी का नाम तारिका बताया गया है। अनंतमती/तारिका हंसवाहना है पर अंकुशा पद्म पर स्थित होती है । अनंतमती और अंकुशा दोनों का वर्णन चतुर्भुजा यक्षी के रूप में मिलता है । अमरकाव्य के अनन्तजिनचरित्र (श्लोक १६-२०) में अंकुशा के दो ही प्रायुध बताये गये है, जिससे प्रतीत होता है कि अमरचन्द्र उसे द्विभुजा मानते है । उन्होंने दायें हाथ में फलक और बायें हाथ मे अंकुश बताये है। अपराजितपृच्छा ने तारिका के प्रायुध धनुष, बाण, फल और वरद कहे है । ठीक यही प्रायुध वसुनन्दि, प्राशाधर और नेमिचन्द्र के ग्रन्थों में पाए जाते है। श्वेताम्बर परम्परा में सामान्यतया अंकुशा के दायें हाथो में पाश और तलवार तथा बायें हाथों में अंकुश और ढाल इस प्रकार प्रायुध होते है ।२ मानसी कन्दर्पा दिगम्बरों के अनुमार पंद्रहवें तीर्थकर धर्मनाथ की यक्षी मानमी है पर श्वेताम्बरो के अनुमार कन्दर्पा । वसुनन्दि ने मानमी का पर्याय नाम परभृता भी कहा है । अपराजिनपच्छा ने इस यक्षी का नाम अनंतागति बताया है जिसका तिलोयपण्णत्ती की अनंतागति मे साम्य प्रतीत होता है। प्रवचनसारोद्धार मे पन्नगगति या पनगा नाम है । प्राचारदिनकर ने भी कन्दर्पा का अपर नाम पन्नगा कहा है । अपराजितपृच्छा ने अनंतागति को रक्तवर्ण, दिगम्बरों ने मानमीको प्रवालवर्ण और श्वेताम्बरो ने कन्दर्पा को गौरवर्ण माना है । मानसी का वाहन शार्दूल या व्याघ्र है और कन्दर्पा का मीन । मानमी और अपराजित पृच्छा की अनतागनि षड्भुजा हैं । कन्दर्पा की भुजाएं चार कही गई हैं । अपराजितपृच्छा न अनंतागति के त्रिशूल, पाश, चक्र, हमा, फल और वरद, ये छह प्रायुध बताये हैं। प्राशाधर और नेमिचन्द्र के अनुसार मानसी कमल, धनुष, वरद, अंकुश, बाण और कमल इस प्रकार प्रायुध धारण करती १. प्रतिष्ठासारसंग्रह, ५/४३; प्रतिष्ठासारोद्धार, ३/१६८; प्रतिष्ठाति लक, पृष्ठ ३४५। २. निर्वाणकलिका, पन्ना ३६; प्राचारदिनकर, उदय ३३, पन्ना १७७ तथा अन्य ग्रन्थ ।
SR No.010288
Book TitleJain Pratima Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBalchand Jain
PublisherMadanmahal General Stores Jabalpur
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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