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जन प्रतिमाविज्ञान
और नेमिचन्द्र के वर्णन को एक साथ पढन पर गाघारीके दाये उपरले हाथ में कमल, दाया निचला हाथ वरदमुद्रामे, बायें उपरले हाथमे कमल और वायें निचले हाथ मे मुशल का होना ज्ञात होता है ।' चण्डा के दाये हाथ में वरद और गक्ति तथा बाये हाथो म पुप्प और गदा होती है । वैरोटी / विदिता
तेरहवे तीर्थकर विमलनाथ की यक्षी को दिगम्बर वरोटी और श्वेताम्बर विदिता कहते है । अपगजिनपन्छा" उसका नाम विगटा और नेमिचन्द्र के प्रतिष्ठातिलक मे वगेटिका मिलता है। वमुनन्दि ने रोटी का पर्याय नाम विद्या भी बताया है । विदिता के स्थान पर प्रवचनसारोद्धारमे विजया नाम मिलता है । वैरोटी हरित वर्ण है पर अपराजितपृच्छामे उमे श्यामवर्ण कहा गया है। विदिता के वर्ण के विषय में भी मतवैषम्य है । त्रिषष्टिशलाकापुम्षचरित्र और निर्वाणकलिकामे वह हरितालद्यति है पर प्राचार दिनकर और अमरचन्द्र के महाकाव्य म स्वर्ण वर्ण । दिगम्बरो के अनुसार वरोटी अजगर पर सवारी करती है । विदिता पद्म पर प्रामीन है । वैरोटी और विदिता दोनो चतुर्भजा है। पर आपराजितपृच्छा ने वैगेटी को षडभुजा कहा है । उसके अनुसार यक्षीके दो हाथ वरदमुद्रामे रहते है और शेष चार हाथों मे वह खड्ग, खेटक, धनुष और वाण धारण करती है । वमुनन्दि ने प्रायुधो मे मे केवल दो सो का ही उक्लेख किया है । प्राशाधरके अनुसार दाये और बाये प्रोर के एक एक हाथ मे सर्प तथा दाये ओर के दूमरे हाथ मे बाण और बाये ओर के दूसरे हाथ मे धनुष होता है ।' नेमिचन्द्र ने दाये ओर के दोनो हाथों मे सर्प बताया है और बाये ओर के हाथो मे बाण और धनुष । विदिता देवी के दाये हाथो मे बाण प्रौर पाश तथा बाये हाथो मे धनुष और नाग होते है ।'
१. प्रतिष्ठासारोद्धार ३ '१६६ ; प्रतिष्ठातिलक, पृष्ठ ३४४ २ निर्वाणकलिका, पन्ना ३५; प्राचारदिनकर, उदय ३३, पन्ना १७७
तथा अन्य ग्रन्थ । ३. प्रतिष्ठामारोद्धार, ३/१६७ ४. प्रतिष्ठातिलक, पृष्ठ ३४४ ५. निर्वाणकलिका, पन्ना ३६; प्राचारदिनकर, उदय ३३, पन्ना १७७
तथा अन्य ग्रन्थ