________________
शासन यक्षियां
गौरी/मानवी
ग्यारहवें तीर्थकर श्रेयांसनाथ की यक्षी दिगम्बरो के अनुसार गौरी प्रौर श्वेताम्बरों के अनुसार मानवी नामवाली है । वसुनन्दि ने गौरी का पर्याय नाम गोमेधको कहा है पर वह किसी अन्य उल्लेख से पुष्ट नहीं होता । प्रवचनसारोद्धार में मानवी के स्थानपर श्रीवत्सा ? नाम मिलता है। प्राचारदिनकरकार ने भी मानवी का अपर नाम श्रीवत्सा बनाया है। गौरी का वर्ण सोने जैसा पीत और मानवी का वर्ण गौर । गौरी की सवारी मग' है पर मानवी का वाहन सिंह है। दोनों की भुजाएं चार-चार है । अपराजित पृच्छा मे गौरी के आयुध पाश, अंकुश, कमल और वरद बताये गये है । वसुनन्दि ने केवल दो-कमल और वरद-पायुधों का उल्लेख किया है। प्रागाधर और नेमिचन्द्र ने मुद्गर, कमल, अंकुश और वरद ये चार प्रायुध बताये है। प्राचारदिनकर और निर्वाणकलिका के अनुसार मानवो दाये हाथों में वग्द और मृद्गर तथा बायें हाथों में कलश और अंकुश धारण किया करती है।' गांधारी | नण्डा
____ बारहवें तीर्थकर वासुपूज्यकी यक्षी दिगम्बरो के अनुसार गांधारी और श्वेताम्बरों के अनुसार चण्डा है । वमनन्दि ने गांधारी का पर्याय नाम विद्यन्मालिनी बताया है । गांधारी को प्रवचनसारोद्धार में प्रवरा, प्राचारदिनकर में प्रवरा और चण्डा दोनों, निर्वाणकलिकामें प्रचण्डा और त्रिषष्टिशलाकापुरुष. चरितमें चन्द्रा कहा गया है। गाधारी का वर्ण हरिद है पर अपराजितपृच्छा उमे श्यामवर्ण बताती है। चण्डा श्यामवर्ण की है। गांधारी का वाहन मकर और चण्डा का वाहन अश्व है । अपराजितपृच्छा में गांधारीको द्विभुजा किन्तु दिगम्बर प्रौर श्वेताम्बर ग्रन्थों में गांधारी और चण्डा दोनों को चतुर्भुजा बताया गया है। अपराजितपृच्छा के अनुसार गांधारी के दाये हाथ मे कमल और बायें हाथ में फल होता है । वमुनन्दिने केवल तीन हाथों के प्रायुध बताये हैं अर्थात् मुशल और दो कमल, चौथे प्रायुधका उल्लेख नहीं किया। प्राशाधर
१. अपराजितपृच्छा में कृष्ण मग २. प्रतिष्ठासारमंग्रह, ५/३७ ३. प्रतिष्ठासारोदार, ३/१६५ और प्रतिष्ठातिलक, पृष्ठ ३४४ ४. प्राचारदिनकर, उदय ३३, पन्ना १७७; निर्वाणकलिका, पन्ना ३५ । ५. प्रतिष्ठासारसंग्रह, ५/३६