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॥ श्री नेमिनाथ चैत्यवंदन ॥ * नमो विश्वनाथाय, जन्मतो ब्रह्मचारिणे ॥ कर्मवल्ली वनच्छेद, नमयेऽरिष्टनेमये ।। १॥ यदुवंश समुद्रंदु, कर्मकक्ष हुताशन: अरिष्ट नेमिभगवान् , भूयाद्वोऽरिष्टनाशनः ॥२॥ अनंत परमानंद, पूर्णधाम व्यवस्थितः ॥ भवंतं भवता साक्षी, पश्यतीह जिनो खिल।। ॥ ३ ॥ स्तुवंत स्तावक विच, मन्यथा कथमीदृशं ॥ प्रमोदातिशयश्चित्ते, जायते भूवनाति ग ॥ ४ ॥
॥ अथ आदिजिन चैत्यवंदन ॥ जयात्यादिम तीर्थेश, त्रिलोकी मंगल द्रुमः ॥ श्रेयः फलं सदा लोका, यथा लोका दुपासते ॥ १॥ श्रीमन्नाभिकुलादित्य, मरुदेव्यंगज प्रभो ॥ संसाराब्धि महापोत, जयत्वं वृषभध्वजं ॥ २ ॥ नमस्ते जगदानंद मोक्षमार्ग विधायक ॥ जैनेंद्र विदिताशेष, भावस्तद् भावनायकः ॥ ३ ॥ प्रक्षीणा शेष संस्कार, विस्तार परमे. श्वर ॥ नमस्ते वाक्यथातीत, त्रिलोक नरशेखर ॥४॥ भवाब्धि पवितानंत, सत्वसंसार तारक ॥ घोर संसार कंतार, सार्थवाह नमोस्तु ते ॥ ५ ॥
॥ अथ श्री आदिनाथ चैत्यवंदन ॥ श्री आदिनाथ जगन्नाथ, विमलाचल मंडन ॥ जयनामिछा
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