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द्रव्येन्द्रिय-कर्म से रचित इन्द्रिय । द्वन्द्व-संयोग-वियोग आदि परस्पर विरोधी युगल-भाव । द्वीन्द्रियजीव , जिनके स्पर्शन और रसना दो ही इन्द्रियाँ
होती है, जैसे केंचुआ, जोक आदि । द्वेष-अरुचिकर पदार्थों के प्रति अप्रीति का भाव । द्वयणुस्कन्ध-दो स्निग्ध/रूक्ष परमाणुओ के मिलने से उत्पन्न
स्कन्ध ।
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