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योग--मन, वचन और शरीर की चेष्टा का कारण भूत आन्तरिक प्रयत्न |
योगोद्वहन - पारणाकाल और स्वाध्याय आदि के निरोधपूर्वक योगी के धारण या निर्वाह का नाम ।
योजन -नार कोग का एक योजन | योजनपृथकत्व-रोजन का आठ गुना भाग । योनि - जीवों की उनके या नौरागीला स्थान ।
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