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रज्जु-जग श्रेणी का सातवॉ भाग। रति-विषयो में उत्सुकता । रत्नत्रय-सम्यग् दर्शन ज्ञान एवं चारित्र रूप मोक्ष-मार्ग । रनि-एक हाथ का माप ; चोइस अंगुल के बराबर का माप । रस-जिहवा का विषय ।। रसकषाय-रस के आश्रय से उत्पन्न कषाय । रसगौरव-अनिष्ट रस के विषय में अनादर का भाव । रसपरित्याग-स्वाद-विजय के लिए घी, दूध, नमक आदि
रसो का त्याग ; तप का एक अंग। राक्षसविवाह-बलपूर्वक कन्या का ग्रहण । राग-आसक्ति ; चारित्रमोह ; इष्ट विषयो के प्रति प्रीति
भाव। राजकथा-राजाओ या राज्य से संबंधित वचनालाप ।
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