________________
३०]
जैन युग-निर्माता। अकंपनकी सेनाने उसका साथ दिया। अर्कोतिका विशाल सैन्य
और राजाओंके समूइने एकत्रित होकर उसे घेर लिया । तीक्ष्ण बाणोंकी वर्षा होने लगी और मानव जीवनके साथ मृत्युका खेल होने लगा । अर्ककी तिकी संगठित विशाल सेना के साम्हने जयकुमारका सैन्यबल पीछे हरने लगा। जयको यह सहन नहीं हुआ। वीरताकी धारा बहाते हुए उसने अपने सैनिकों को तव्र आक्रमणके लिए उत्तेजित किया और शत्रु के दलको चीरता हुआ वह अर्ककीर्तिके निकट पहुंचा । उसने अर्कोतिको संबोधित करते हुए कहा-इन बेचारे गरीब सैनिकों का वध करनेसे क्या लाभ ? परीक्षण तो हमारे
और तुम्हारे बलका है, आओ हम और तुम युद्ध करके शक्तिका निर्णय करें।
जयकुमारके शब्द पूर्ण होने के साथ ही उसपर एक तीक्ष्य बाणका बार हुआ लेकिन उस तीरको अपने पास मानेके पहिले ही उसने काट डाला तब तो अकीर्तिने उसपर और भी अनेक अचूक शों का प्रयोग किग पान्तु युद्ध-कुशल जयने उन सी शस्त्रोंको बेकार कर दिया आ बड़ी कुशलतास शस्त्र प्रहार करके उसे नंचे गिराकर दृढ़ बंधवमें कस लिया ।
____ अर्ककी तिके पराजित होते ही सभी राजकुमारोंने हथियार हाल दिए। विजयने जयकुमार का वाण किया किन्तु अर्ककी र्तिके प्रति उसके हृदयमें कोई प्रतिहिंसा अथवा विरोध नहीं था। वह तो अन्यायका बदला देना चाहता था इसलिए उन्हें सी समय बंधन मुक्त कर दिया। मर्ककीर्तिका मुंह इस अपमान से ऊंचे नहीं रठ सका।