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________________ ( ३०० ) है ठीक उसी प्रकार असुर, कुमार, देवों के विषय में भी जानना चाहिये । भेद केवल इतना ही है कि—देव गति कृष्ण लेश्या, नील लेश्या, कापोत लेश्या और तेजोलेश्या से युक्त होते हैं । वेद परिणाम की अपेक्षा से स्त्रीवेद, पुरुषवेद यह दोनों वेद उक्त देवों के होते है, किन्तु नपुंसक वेद उनका नहीं होता है। शेष वर्णन नैरयिकवत् ही है। सो इसी प्रकार शेष नवनिकाय स्तनित कुमार पर्यन्त देवों के विषय में जानना चाहिए अर्थात् शेष परिणामों का परिणत होना नवनिकायों में नारकीयवत् ही है । अब इनके अनन्तर पांच स्थावरों के विषय में सूत्रकार कहते हैं: पुढविकाइया गति परिणामेणं तिरियगतिया, इंदिय परिणामेण एगिंदिया, सेसंजहा नेरइया नवरं लेसा परिणामेणं तेोलेसावि, जोगपरिणामेणं कायजोगी खाणपरिणामो गत्थि; अणाणपरिणामे मति अणांणी गाणी दंसण परिणामेण मिच्छदिट्ठी सेसं तं चैव एवं आउ वरणस्सइ कायावि उ वाउ एवं चेव, नवरं लेसा परिणामेणं जहा नेरइया | 1 भावार्थ -- पृथ्वीकायिक जीव गति परिणाम की अपेक्षा से तिर्यक् गति परिणामयुक्त हैं । इन्द्रिय परिणाम की अपेक्षा से एकेंद्रिय है' । शेष परिणाम नैरयिकवत् । किन्तु लेश्यापरिणाम की अपेक्षा से तेजोलेश्या परिणाम नैरयिक जीवों से अधिक जानना चाहिए । योग परिणाम की अपेक्षा से काययोग से परिणत हैं | ज्ञान परिणाम से वे जीव परिणत होते ही नहीं किन्तु ज्ञान परिणाम से मति अज्ञान और श्रुत ज्ञान से परिणत हैं । दर्शन परिणाम की अपेक्षा से वे जीव केवल मिथ्यादर्शी हैं । और शेष वर्णन पूर्ववत् है । सो इसी प्रकार अप्कायिक और वनस्पतिकाय के विषय में भी जानना चाहिए। परंच तेजोकायिक और वायुकायिक जीवों के तेजोलेश्या नहीं होती । अतएव उन जीवों के परिणाम नैरयिकवत् ही होते हैं । .. अब सूत्रकार इसके अनन्तर तीनों विकलेंद्रियों के परिणाम विषय कहते हैं:-- बेइंदियांगति परिणामेणं तिरियगतियां इंदिय परिणामेणं बेइंदिया सेसं जहा नेरइया नवरं जोगपरिणामेणं वयजोगी कायजोगी गाणपरिणामेणं श्रभिणिवोहियनाणीव सुतनाणीव अणारा परिणामेणं मइयाणीवि सुयत्रणाणीचि नोविभंगनाणी दंसणपरिणामणं - सम्मंदिठीविमिच्छदि-द्वीविनोसम्मामिच्छदिवी सेसंतं चैव एवं जाव चउरिंदिया वरं इंदिय परिबुड्ढी कायव्वा ॥ H
SR No.010277
Book TitleJain Tattva Kalika Vikas Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages335
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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