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( 30 ) वैशेषिक माख्यो के सत्कार्यवाद को मिथ्या मानते है और साल्य उनके अमत्कार्यवाद __ को मिय्या मानते हैं । उक्त सव वक्तव्यताए सत्य हैं। उनमे कोई भी व्यता मिथ्या नही है । वे निरपेक्ष होने के कारण मिथ्या है । वे यदि सापेक्ष हो तो कोई भी वक्तव्यता मिथ्या नहीं है । ५८ मिट्टी से पृथक नहीं है, इसलिए वह उसमे अभिन्न है । पटावस्या से पहले मिट्टी मे ५८ नही था। वटाकार परिणति होने पर घट वना है, इसलिए वह मिट्टी से भिन्न है । इस प्रकार अभेद और भेद या सामान्य और विशे५ को सापेक्ष प्टि से देखने पर कोई भी वक्तव्यता मिथ्या नहीं होती ।28
जितने वचन-पय हैं उतने ही नयवाद हैं। जितने नयवाद हैं उतने ही परसमय हैं अन्य दर्शन हैं ।29 प्रत्येक विचार एक नय है । वह किमी दृष्टिकोण से निरूपित है । कोई भी एक विचार पूर्ण नहीं है। वह शेष सब विचारो से सब होकर पूर्ण होता है इसलिए कोई भी निरपेक्ष विचार सत्य नहीं होता और कोई भी सापेक्ष विचार मिथ्या नही होता। प्रश्न हो सकता है कि यदि निरपेक्ष विचार मिथ्या है तो वे समुदित होकर सत्य कसे होगे ? मिथ्या का समूह मिथ्या ही होगा। वह सम्यक् कसे होगा ? इस प्रश्न का प्राचार्य समन्तभद्र ने समाधान दिया कि विचार मिथ्या नहीं हैं । वे निरपेक्ष है इसलिए मिथ्या हैं । वे सापेक्ष या समुदित
होते ही वास्तविक हो जाते हैं 130 ___ 28 सन्मति प्रकरण 3/48-52
ज काविल दरिसरण एय दयट्टियस्स पत्त० । सुद्धोणतणस्त उ परिसुद्धो पज्जवविअप्पो 1148।। दोहि वि णएहि पी सत्यमुलूएस तह वि मिच्छत्त । ज सविसअप्पहाणतणेण अण्णोण्य वेक्खा ।49।। ज मतवायदोसे मक्कोलूया भरगति मखा।।। सखा य असताए तसि स० वि ते सप्पा 1500 ते उ भयगोवरणीश्री सम्म सरणमणुत्तर होति । ज भवदुक्पविमोक्स दो वि न पूरन्ति पाडिक 115111 नात्य पुढवीविसिट्ठो घडो त्ति ज तेरा जुज्ज असण्यो।
ज पुरण घडो त्ति पुष्व रण आमि पुढवी तश्री अण्णा ।।5211 29 सन्मति प्रकरण, 3/47
जावइया वयपहा, तावइया चेव होति ॥यवाया।
जावइया एयवाया, तायडया पेव परसमया ।। 30 प्राप्तमीमासा, लोक 108
मिथ्यासमूहो मिथ्या पेन्न मिथ्यकान्ततास्ति न ! निरपेक्षा नया मिथ्या, मापेक्षा वस्तु तेऽर्थकृत् ।।