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________________ प्राचीन हिन्दी जैन कवि P A .. ...- - - -. बनारसी विलास बनारसी विलास कविवर की अनेक कविताओं का संग्रह है इसके संग्रह-कर्ता आगरा निवासी पं० जगजीवन जी हैं। आप कविवर की कविता के बड़े प्रेमी थे। सं० १७७१ में आपने बड़े परिश्रम से इस काव्य ग्रंथ का संग्रह किया है। __बनारसी विलास में धार्मिक, नीति वैराग्य, भक्ति, उपदेश तथा अध्यात्म संबंधी कुल ६० कविताओं का संग्रह है। सभी कविताएं सरस भाव-पूर्ण और हृदयग्राही हैं। अध्यात्म गीत, वरवै, पहेली, शांतिनाथ स्तुति, अध्यात्म हिंडोल, अध्यात्म मल्हार आदि कविताएँ अत्यंत मधुर और हृदयग्राही हैं । इन कविताओं में सरस और अनूठी कल्पनाओं और उपमाओं का अनुपम प्रयोग है । अध्यात्म जैसे विषय को इतना सरस और हृदय आकर्पक वना देना कवि की महान प्रतिभा का फल है। नवरत्न, गोरख के वाक्य, फुटकर दोहे आदि कविताओं में राज्यनीति तथा समाजनीति का अच्छा विवेचन किया है। मोक्ष पेडी पंजावी भापा में एक सुन्दर उपदेशमय रचना है इसमें बड़े मनोरम ढंग से आत्म परिचय दिया है। शिव महिमा, भवसिन्धु चतुर्दशी आदि रचनाएं सरस कल्पनाओं तथा मनोरम भावों से परिपूर्ण है। . ___अन्य सभी कविताएं तथा पद धार्मिक और उपदेशपूर्ण होने के साथ-साथ काव्य की अनूठी कला से अलंकृत है उनमें पद पद पर कवि के उदार और कवित्वपूर्ण हृदय का परिचय मिलता है। पाठकों के परिचय के लिए हम वनारसी विलास की कुछ कविताओं के थोड़े २ पद्य यहाँ उद्धत करते हैं। पाठक देखेंगे कि उनमें कितनी सुन्दरता और कवित्व है।
SR No.010269
Book TitleJain Kaviyo ka Itihas ya Prachin Hindi Jain Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchandra Jain
PublisherJain Sahitya Sammelan Damoha
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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