________________
प्राचीन हिन्दी जैन कवि
AAAAAAAAAAAA
उपसंहार ____ कविवर बनारसीदास जी का जीवन सांसारिक कठिनाइयों और परिस्थितियों से युद्ध करते २ ही व्यतीत हुआ है। उनका हृदय उदार और विशाल होने के कारण उन्होंने प्रत्येक प्रतिकूल परिस्थिति का मुकाबला किया और उसमें से संतोष और शांति निकालने का प्रयत्न किया है। वे कर्मशील और उत्साही रहे हैं। _ कहीं कहीं वे नीचे गिरते हुए बहुत सँभले हैं ऐसे अवसर उन्हें कई बार प्राप्त हुए हैं जब वे दिशा भूल गए किन्तु उन्होंने शीघ्र ही. मार्ग प्राप्त कर लिया और उस पर वे निर्भीकता से चल पड़े हैं।
युवकगण जिस समय प्रलोभनों के तूफान में फंस जाते हैं. तब फिर उससे निकलना उन्हें बहुत ही कठिन हो जाता है। कविवर पर प्रलोभनों का आक्रमण हुआ और वे उनके द्वारा ठगाए गए किन्तु वे वीरता के साथ शीघ्र ही उसमें से निकल भागे । युवकों के लिए उनकी यह विजय स्मरणीय है। उन्हें कविवर के इस आदर्श को ग्रहण करना चाहिए।
शुष्कआध्यात्मवाद के रंग में भी उनका जीवन रंगा गया है परन्तु वह रंग ऐसा नहीं था जो छूट ही न सके। वर्तमान का अधिकांश युवक तथा शिक्षित समाज भी इसी तरह निरे अध्यात्मवाद को ग्रहण कर लेता है और आचरण तथा क्रियाओं
की मजाक उड़ाया करता है। किन्तु. कविवर ने सिद्धान्त का अच्छी तरह से मनन किया और
उन्होंने क्रिया और ज्ञान दोनों के रहस्य को समझा । उन्होंने इस