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________________ प्राचीन हिन्दी जैन कवि अपने जीवन चरित्र में नहीं किया हैं किन्तु यह घटनाएँ इतनी प्रसिद्ध हैं कि इनके बिना आपका जीवन चरित्र अधूरा सा ही रह जाता है । ३४ www इसमें कुछ घटनाएं ऐसी हैं जिन पर सर्व साधारण जनता को विश्वास नहीं होगा किन्तु कविवर की महत्वता और उनकी महान् आत्म शक्ति को देखते हुए उन्हें मिथ्या नहीं कहा जा सकता । कविवर की काव्य प्रतिभा के कारण प्रतिष्ठित व्यक्तियों तथा उच्च श्रेणी के राज्य कर्मचारियों में उनका विशेष समादर था । उनके गुणों और सहयता के कारण सभा में उनका बेरोक टोक प्रवेश था। किन्तु कविवर को किसी भी राज्य सत्ता अथवा प्रतिष्ठित मित्रों के द्वारा किसी आर्थिक लाभ प्राप्त करने की इच्छा नहीं हुई । यही कारण था कि उनका सर्वत्र हो विशेष समादर होता था । नीचे उनके कुछ विशेष गुण तथा उनके द्वारा घटित हुई कुछ जन श्रुतियों का वर्णन किया जाता है । गोस्वामी तुलसीदासजी का सत्संग हिन्दी भाषा क्षेत्र में गोस्वामी तुलसीदासजी का नाम बड़ी श्रद्धा और आदर के साथ लिया जाता है उनकी बनाई रामायण का भारत में असाधारण प्रचार है । वास्तव में तुलसीदासजी भारत के हिन्दी भाषा के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं गोस्वामीजी वनारसीदासजी के समकालीन थे। जिस समय तुलसीदासजी का शरीरपात हुआ उस समय कविवर की आयु ३७ वर्ष की थी । .
SR No.010269
Book TitleJain Kaviyo ka Itihas ya Prachin Hindi Jain Kavi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchandra Jain
PublisherJain Sahitya Sammelan Damoha
Publication Year
Total Pages207
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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