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५ जैन तथा अजैनों को जैन धर्म का सरलता से वोध कराने ___ वाली पुस्तकों की रचना करना । ६. जैन पाठशालाओं के लिए सरल, सुबोध, साहित्यिक तथा
धर्मिक पाठ्य-पुस्तकों की रचना करना।
कार्यकारी मंडल। सभापतिः-प्रो० हीरालाल जैन, एम. ए., अमरावती । उपसभापतिः-वैरिस्टर जमनाप्रसाद, सव-जज, कटनी, सी. पी. । प्रधान मंत्री-पं० अजितप्रसाद, एम०ए०, चीफ्-जज, जावरा स्टेट । मंत्री:-पं० मूलचन्द्र 'वत्सल' साहित्य शास्त्री, दमोह सी० पी०। उप मंत्री:-पं० भुवनेन्द्र 'विश्व, शास्त्री, जवलपुर। कोपाध्यक्षः-सेठ गुलावचन्द जैन, जमीदार, दमोह, सी० पी०। मंत्री ग्रंथसूची विभाग:-पं० महेन्द्रकुमार, न्यायाचार्य, बनारस।
सभासद।
पं० जुगल किशोर, मुख्त्यार, सरसावा । पं० कैलाशचन्द्र, शास्त्री, वनारस । पं० चैनसुखदास, न्यायतीर्थ, जयपुर । पं० अजित कुमार, शास्त्री, मुलतान । पं० के. भुजवलि, शास्त्री, न्यायाचार्य, आरा। पं० वंशीधर न्याय तीर्थ, व्याकरणाचार्य, वीना। पं० पन्नालाल, काव्य तोर्थ, साहित्याचार्य, सागर। पं० कामताप्रसाद जैन, संपादक 'वीर, अलीगंज । पं० हीरालाल, न्यायतीर्थ, साहित्य-रत्न, देहली। । ला० अयोध्याप्रसाद, गोयलीय, देहली।