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जिनवाणी के उद्धार और उसके प्रचार का कठिन भार "जैन साहित्य सम्मेलन" ने अपने ऊपर लिया है। इसकी तन, मन, धन से सहायता करना जैन समाज का धर्म है । इसमें सहायता देने से यश और पुण्य के साथ-साथ जैनवाणी के उद्धार का महान् पुण्य लाभ होगा ।
सहायक पद:
संरक्षकः -- एकबार एक सौ रुपया देनेवाले सज्जन संरक्षक होंगे। उन्हें सम्मेलन द्वारा प्रकाशित सभी ग्रन्थ जीवन भर मुफ़्त मिलेंगे ।
मुख्य सहायक: - एक बार २५) रुपया देनेवाले सज्जन होंगे। उन्हें ५ वर्ष तक सभी ग्रन्थ मुफ्त मिलेंगे 1
ग्राहक :- प्रति वर्ष ३) वार्षिक देनेवाले सज्जन होंगे उन्हें एक वर्ष तक सभी ग्रन्थ मुफ्त मिलेंगे ।
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जो सज्जन किसी ग्रन्थ के उद्धार करने में अथवा प्रकाशन कुछ सहायता देंगे उनका नाम उस ग्रन्थ में प्रकाशित किया जायगा तथा जो सज्जन किसी एक ग्रन्थ का पूर्ण प्रकाशन करायेंगे उनका नाम तथा चित्र उस ग्रन्थ में प्रकाशित किया जायगा ।
निम्न लिखित सज्जनों ने जैन साहित्य सम्मेलन के सहायक बन कर इस पुस्तक के प्रकाशन में सहायता पहुँचाई है इसके लिए - धन्यवाद के पात्र हैं ।
१००) श्रीमान् सेठ घासीलाल मूलचन्द्रजी, कन्नड़ । सेठ भँवरलालजी राघोगढ़ |
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सेठ शिवप्रसादजी मलैया, सागर ।
सेठ दमरूलाल दुलीचन्दजी; गोटेगाँव ।
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