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भैया भगवतीदास
जैनी जैन शास्त्रोक्त नयों को जानता है और (जिन) जिन्होंने उन नयों को (जिन) नहीं जाना उनकी (जैन) जय नहीं होती । इसलिए (जे जे) जो जो (जैन जन) जिन धर्म के दास जैनी हैं वे अपनी अपनी (निज निज) (नैन) नयों को अवश्य ही जानैं ।
वेद भाव सव त्याग कर, वेद ब्रह्म को रूप ।
वेद माँहि सब खोज है, जो वेदे चिद्र ूप ॥
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स्त्री, पुरुष, नपुसंक वेद के भाव त्याग कर, आत्मा का स्वरूप (वेद) (जान) शास्त्रों में सब का पता है यदि तू आत्मा को जानना है तो सब कुछ जानता है नहीं तो कुछ नहीं ?
तीन प्रश्नों का एक उत्तर ।
वीतराग कीन्हों कहा ? को चन्दा की सैन १
धाम द्वार को रहत है, 'तारे' सुन सिख वैन | वीतराग ने क्या किया 'तारे' चन्द्रमा की सैना कौन है (तारे) दरवाजे पर कौन रहता है 'वाले' |
तीन प्रश्नों का एक ही उत्तर सुनिए ।
जिन पूजें ते हैं किसे, किंह तै जग में मान । पंच महाव्रत जे धरें, 'धन' वोले गुरु ज्ञान ॥ जिन्होंने जिन की पूजा की वे धन्य हैं, धन से जग में मान होता है जो पंच महाव्रत धारण करते हैं उनको गुरू जन धन्य कहते हैं ।
चार माहिं जोलो फिरे, धरै चार सों प्रीति ।
तोलौं चार लखे नहीं, चार खूट यह रीति ॥
जब तक चार कषाय (क्रोध, मान, माया, लोभ) से प्रीति tar as चारों गति में फिरता है और तभी तक (सुख, ज्ञान,