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प्राचीन हिन्दी जैन कवि
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कलावंत, कोविद कुशल, सुमन दक्ष धीमंत । ज्ञाता, सज्जन, वृह्मविद, तज्ञ गुणीजन संत ॥
असत्य के नाम अजारथ मिथ्या, मृषा, वृथा असत्य अलीक । मुधामोघ निःफल वितथ, अनुचित, असत अठीक ॥
शुद्ध जीव द्रव्य के नाम परम-पुरुष परमेसर परम-ज्योति,
परब्रह्म पूरण परम परधान है। अनादि अनंत अविगत अविनाशी अज,
निरकुंद मुकत मुकंद अमलान है। निरावाध निगम निरंजन, निरविकार,
निराकार संसार सिरोमणि सुजान है। सरव दरसि, सरवज्ञ सिद्ध स्वामी शिव, धनी नाथ ईश जगदीश भगवान है।
जीव द्रव्य के नाम चिदानंद चेतन अलख जीव समैसार,
बुद्धिरूप अवुध्र अशुद्ध उपयोगी है। चिद्रप स्वयंभू चिनमूरति धरमवंत, .
प्राणवंत प्राणी जंतु भूत वृष भोगी है। गुणधारी, कलाधारी भेषधारी,विद्याधारी, "
अंगधारी संगधारी, योगधारी जोगी है। चिन्मय अखंड हंस अक्षर आतमराम,
करम को करतार परम वियोगी है