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प्राचीन हिन्दी जैन कवि
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अनीकनी मत्त मतङ्ग सात अरु वीस, पवन वेग रथ सत्ताईस । अनुग एक सौ पैतिस ठीक, हय इक्यासी सहित अनीक ।। फुटकर कवित्त
इसमें २२ कवित्त हैं इसमें विद्याओं के नाम तथा ग्रह ज्योतिप आदि सभी विषयों का वर्णन है।
विद्याओं के नाम
छप्पय छन्द ब्रह्म ज्ञान, चातुरीवान, विद्या हय वाहन । परम धरम उपदेश, वाहुबल जल अवगाहन ॥ सिद्ध रसायन करन, साधि सप्तम सुर गावन । वर सांगीत प्रमान, नृत्य वाजिन वजावन ॥ व्याकरण पाठ मुख वेद धुनि, ज्योतिष चक्र विचार चित । वैद्यक विधान परवीनता, इति विद्या दश चार मित ।।
. नवरत्नों के स्वामी मुकता को स्वामी चन्द, मूंगानाथ महीनन्द,
गोमेदक राजा राहु, लीलापती शनी है। केतु . लहसुनी, सुर पुष्पराज देव गुरु,
__पन्ना को अधिप बुध, शुक्र हीराधनी है। याही क्रम कीजे घेर, दक्षिणावरत फेर,
माणिक सुमेर वीच प्रभु दिनमनी है। श्राठों दल आठ ओर, करणिका मध्य ठौर,
कोल कैसे रूप नौ ग्रही अनूप बनी है॥