________________
AnAna
कविवर बनारसीदास
१२१ worm. .......... . . . . . . .. ... दुकृति संतति घाम, काम विद्वेष विदारस।
मान मतंगज सिंह, मोह तरु दलन सुवारण ॥ श्री शांति देव जय जित मदन, वानारसि वन्दत चरण । भव तार हारि हिमकर वदन, शांतिदेव जय जित करण ।
देवता लोग जिसके वचन रूपी अमृत रस का पान करते हैं जिसका शरीर चन्द्रमा के समान है उस शान्तिनाथ जिनेन्द्र की मैं वन्दना करता हूँ।
___ गजपुर में जन्म लेनेवाले शान्तिकुमार, मुक्ति देनेवाले, सुख करने वाले, अनुपम रूप और पाचरण वाले जगत के आधार, श्रीर. कामदेव के जीतने वाले हैं।
व अनुपम रूप के धारक, शत्रु अन्धकार को सूर्य के समान, उपमा रहित ज्ञान के धारी, अभिमान से रहित, गुणों के समुद्र, मुक्ति के चंदोवे और संसार को नष्ट करने वाले मेरे शुभ ध्यान के साधन हैं।
जिनकी कीर्ति हीरा, हिमालय, हंस, कुन्दकली, शरदकाल के बादल और चन्द्रमा के समान उज्ज्वल और महान है। जो उत्तम गुणों के समुद्र हैं जो पाप की संतति को नष्ट करने को प्रचंड धूप है, काम और राग द्वाप को जीतने वाले हैं, घमंड हाथी के लिए सिंह और मोह वृक्ष को नष्ट करने के लिए जो तीक्ष्ण कृपाण हैं।
उन मदन विजयी शान्तिनाथ स्वामी के चरणों को मैं बनारसीदास, 'नमस्कार करता हूँ संसार ताप को हरने वाले हिमकर के समान हे शान्तिदेव आपकी जय हो। आप मुझे इन्द्रियों पर विजय प्रदान कीजिए।